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दीनदयाल पर फेसबुक पर टिप्पणी, आईएएस तायल हटाए गए

छत्तीसग़ढ सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आईएएस शिव अनंत तायल की पं दीनदयाल उपाध्याय पर टिप्पणी को आधार मानते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा कर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया है। 2012 बैच के आईएएस और कांकेर जिला पंचाययत में सीईओ थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 09 Oct 2016 05:02 AM (IST)Updated: Sun, 09 Oct 2016 05:12 AM (IST)

रायपुर। ब्यूरो। छत्तीसग़ढ सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आईएएस शिव अनंत तायल की पं दीनदयाल उपाध्याय पर टिप्पणी को आधार मानते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा कर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया है। 2012 बैच के आईएएस और कांकेर जिला पंचाययत में सीईओ थे।उनकी टिप्पणी पर सरकार ने कडा रुख दिखाया है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा ने तायल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदेशभर में थानों में शिकायत दर्ज कराई और पुतला भी जलाया।
मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने दंतेवा़डा दौरे से लौटने के बाद शुक्रवार रात पूरे मामले की जानकारी ली। उनके सामने तायल की फेसबुक पोस्ट को रखा गया। कई आला अधिकारियों ने तायल पर तत्काल कार्रवाई की बात कही। इस बात पर चिंता जताई कि एलेक्स पाल मेनन की फेसबुक टिप्पणी पर कडी कार्रवाई नहीं होने के बाद अफसर बेलगाम होते जा रहे हैं। तायल के खिलाफ कडी कार्रवाई नहीं की गई, तो गलत संदेश जाएगा। इसके बाद शनिवार सुबह दस बजे ही कार्रवाई का आदेश जारी किया गया इस दिन सरकारी छुट्टी थी।
भाजपा उतरी विरोध में
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिादानंद उपासने ने तायल को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। उपासने के मुताबिक वो पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनुयायी रहे हैं और उनका अपमान खुद उनका निजी अपमान है। उपासने ने कहा कि एकात्म मानववाद के सिद्घान्त पर कई राज्यों की सरकारें चल रही है। भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने शनिवार को राजधानी सहित प्रदेशभर में तायल का पुतला जलाया और कार्रवाई की मांग की।
समर्थन में उतरी कांग्रेस
कांग्रेस ने तायल की पोस्ट का समर्थन करते हुए कार्रवाई को भाजपा की असहिष्णुता करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि तायल पर तत्काल कार्रवाई होती है, लेकिन एलेक्स पाल मेनन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। बघेल ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे में केवल संघी विचाराधारा के लोग जानते हैं और आम जनता को उनके कार्यों की कोई जानकारी नहीं है।

सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी एक सीमा होती है। सरकारी सेवकों के अलावा पत्रकारों, वकीलों, राजनीतिज्ञों, विद्यार्थियों व प्रोफेसरों के लिए यह बात लागू होती है। मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि शासकीय सेवकों को भी नागरिक संहिता का पालन करना चाहिए- एन. बैजेंद्र कुमार, अध्यक्ष, छत्तीसग़ढ आईएएस एसोसिएशन।

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