पुलिस के निशाने पर उदयन का साथ देने वाले बैंक के चार अफसर
सीरियल किलर उदयन दास के फर्जीवा़डे में शामिल होने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद एसआईटी के निशाने पर चार बैंक अफसर हैं।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सीरियल किलर उदयन दास के फर्जीवा़डे में शामिल होने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद एसआईटी के निशाने पर चार बैंक अफसर हैं। उदयन पहले ही यह खुलासा कर चुका है कि सेंट्रल बैंक बैरनबाजार और फेडरल बैंक रायपुर तथा भोपाल के अधिकारियों की मदद से उसने मां-बाप के खातों से लाखों रपए निकाले थे। बदले वह बैंक अधिकारियों को बतौर कमीशन मोटी रकम दी थी। पुलिस अफसरों का दावा है बैंकों से जब्त भुनाए गए 50 से अधिक चेक, तु़डवाई गई एफडी समेत ढेरों दस्तावेज बैंक अधिकारियों की फर्जीवा़डे में संलिाता को उजागर कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी जल्द की जाएगी।
ये बैंक अफसर, जिन पर उदयन की मदद करने का आरोप
भास्कर राव, सेंट्रल बैंक अरेरा हिल्स भोपाल शाखा मैनेजर
जांच में यह बात सामने आई है कि रायपुर, भोपाल में माता-पिता के 6 बैंक खातों से लगभग 300 बार उदयन ने ट्रांजेक्शन किया। उसने 47 लाख रुपए अपने केनरा, एचडीएफसी और आईडीबीआई बैंक खातों में ट्रांसफर कराया। भास्कर राव ने उदयन के प्रभाव में आकर नियम विरद्ध तरीके से ट्रांजेक्शन करने में साथ दिया।
गोपाल स्वामी, सेंट्रल बैंक बैरनबाजार रायपुर- पेंशन शाखा क्लर्क
पेंशन खाते से पैसा निकालने 1 जनवरी 2010 को उदयन ने मां इंद्राणी का जीवित प्रमाण--पत्र व अन्य फर्जी दस्तावेज बैंक में पेश किया। पेंशनभोगी इंद्राणी के बारे में बिना वेरीफिकेशन किए हर महीने पेंशन की राशि उदयन को चेक के जरिए भुगतान की जाती रही। उदयन ने 10 जून 2011 को पेंशन की रकम 20 हजार रपए चेक के जरिए लिया। जून 2011 से दिसम्बर 2011 तक पेंशन की राशि खाते में जमा तो हुई, लेकिन वह आहरण नहीं कर सका। 16 जनवरी 2012 को उदयन ने फिर चेक में इंद्राणी का फर्जी हस्ताक्षर कर 1 लाख 30 हजार रपए निकाला। फिर 2 सितम्बर 2013 को 1 लाख 80 हजार रपए तथा अप्रैल 2016 में पेंशन की एरियर्स राशि 7 लाख 61 हजार रपए जमा होने पर उसने 7 लाख 20 हजार रपए निकालकर अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। तीनों बार ब़$डी रकम ट्रांजेक्शन करते समय चेक में हस्ताक्षर अलग--अलग थे, बावजूद इसे पेंशन शाखा का क्लर्क ओके करता गया।
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अभिषषेक सिंह, सेंट्रल बैंक बैरनबाजार रायपुर-- पेंशन शाखा सहायक क्लर्क
क्लर्क गोपाल स्वामी के साथ अभिषषेक सिंह भी उदयन दास के प्रभाव में आकर इंद्राणी की पेंशन हर महीने जारी की। आरोप है कि इसके बदले मोटी रकम ली। हालांकि अपने बयान में क्लर्क आरोप से इनकार किया है। जब्त दस्तावेजी सबूतों का पुलिस अवलोकन कर रही है।
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विजय कुमार, फेडरल बैंक जीई रोड शाखा रायपुर--क्लर्क
मां--बाप के संयुक्त खाते में जमा लाखों की रकम को चेक के चरिए उदयन ने ट्रांजेक्शन किया। वह हर बार खातेदार ([मां--बाप)] का फर्जी हस्ताक्षर कर पैसा निकालता रहा। बैंक के क्लर्क ने बिना वेरीफिकेशन किए पैसों का भुगतान किया। पूछताछ में विजय ने कहा कि विश्वास में ऐसा किया, लेकिन दस्तावेजी सबूत उसके खिलाफ हैं।
डॉ.वले के कहने पर बनाई थी इटारसी के डॉक्टर ने डेथ सर्टिफिकेट
इंद्राणी दास का मृृत्यु प्रमाण पत्र इटारसी के सरकारी अस्पताल में पदस्थ डॉ.पुष्पराज सिंह ठाकुर ने बनाया था। भोपाल में हुई प्रारंभिक पूछताछ में डॉ.ठाकुर ने बताया था कि वे उदयन को नहीं जानते। अंबेडकर अस्पताल में पदस्थ बैचमेट डॉ.नितिन वले के कहने पर उन्होंने इंद्राणी का मृृत्यु प्रमाण--पत्र बनाया था। इस बयान के आधार पर एसआईटी ने डॉ. ठाकुर और डॉ.वले को आमने--सामने बिठाकर रविवार को पूछताछ की। डॉ. ठाकुर ने फिर वहीं बात दुहराई। बताया कि उदयन मेरे पास से वषर्ष 2013 में इंद्राणी के डेथ सर्टिफिकेट का प्रमाणीकरण करवा कर ले गया था।
बचपन का साथी था उदयन, कहने पर बनाने कहा
अंबेडकर अस्पताल में हड्डी रोड विभाग में एमबीबीएस डॉक्टर नितिन वले ने पुलिस को बताया कि उदयन दास होलीक्रॉस कांपा में वषर्ष 2000 से 2003 के बीच कक्षा 9 वीं से 11वीं तक साथ में प़$ढा था। 11वीं में फेल होने के बाद वह कहीं और प़$ढने चला गया। सालों बाद सोशल साइट आरकुट पर उससे उससे बात हुई। उससे भोपाल व रायपुर में एक--दो बार आकर मिला भी था। घर पर कभी नहीं गया। हमेशा बाहर ही मिलते थे। उसने मुझे फोन कर मां का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने को कहा था, जिस पर मैंने डॉ.पुष्पराज को फोन पर डेथ सर्टिफिकेट बनाने को कहा था।
गड्ढा खोदने मजदूर को दिया था लालच
मां-बाप की हत्या कर लाश को घर के बरामदे में दफनाने के लिए उदयन ने मूलत: दल्ली राजहरा के रहने वाले मजदूर मुकेश यादव को पैसे व शराब का लालच दिया था। पुलिस ने गड्ढा खोदने वाले मजदूर मुकेश यादव को खोज निकाला और उससे पूछताछ की। मुकेश ने उदयन की पहचान करते हुए बताया कि उसे इसी ने यह कहकर गड्ढा खोदने के लिए कहा था कि यहां ब़डा सेफ्टिक टैंक बनवाना है। उसने रात के समय गड्ढा खोदने के लिए पैसे के साथ शराब भी दी थी। गड्ढा कब खोदा था, तारीख याद नहीं है।
साइबर कैफे संचालक व सहकर्मी से पूछताछ-विदेश मंत्रालय की फर्जी सील बनाने से किया इनकार
एसआईटी की टीम ने भोपाल के न्यू मार्केट स्थित साइन इंटरप्राइजेज एंड साइबर कैफे के संचालक राकेश कुशवाहा तथा सहकर्मी हरीश यादव को भी रायपुर तलब किया था। रविवार को दोनों से पूछताछ की गई। दोनों ने उदयन के साइबर कैफे में अक्सर आने-जाने की पुष्टि तो की, लेकिन विदेश मंत्रालय की फर्जी सील बनाने से इनकार किया। उदयन ने पूछताछ में यह कहा था कि उसने साइबर कैफे में जाकर विदेश मंत्रालय की वेबसाइट से लिविंग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड करने के साथ ही सील को स्केन किया था। बाद में राकेश से फर्जी सील बनवाने को कहा था, जिस पर उसने हरीश को भेज सील बनवाकर दिया था। दोनों के बयानों की पुलिस तस्दीक कर रही है। झूठ पाए जाने पर कार्रवाई की जा सकती है।
डॉक्टरों की संलिप्तता उदयन के अपराध में कितनी रही है, इसकी तस्दीक की जा रही है। टीम बैंकिंग प्रणाली का अवलोकन कर रही है। उदयन के फर्जीवा़डे में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी देख रहे हैं। जिनके खिलाफ भी सबूत मिलेंगे, उनकी गिरफ्तारी की जाएगी- राजीव शर्मा, सीएसपी पुरानी बस्ती [ एसआईटी प्रमुख ] ।