छत्तीसगढ़ के हर आदमी के आंखों में बस गया है कलाम का सपना
पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम ने जो सपना देखा था, रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के हर व्यक्ति की आंखों में वह बस गया है। प्रदेश के लाखों लोगों की फैमिली का हिस्सा थे कलाम...।
रायपुर। पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम ने जो सपना देखा था, रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के हर व्यक्ति की आंखों में वह बस गया है। प्रदेश के लाखों लोगों की फैमिली का हिस्सा थे कलाम...। शायद इसीलिए उनके निधन की खबर हर किसी ने एक-दूसरे को गमजदा होकर दी। पुरा प्रोजेक्ट की शुरुआत, पुरखौती मुक्तांगन, राज्योत्सव, रविवि, मेडिकल कालेज...हर जगह उनकी छाप नजर आती है। छत्तीसगढ़ पर उन्होंने जो कविता लिखी, वह दशकों तक प्रदेश के लोगों को गौरवान्वित करती रहेगी।
पुरा प्रोजेक्ट था सपना
एपीजे अब्दुल कलाम का सपना था कि छत्तीसगढ़ में पुरा प्रोजेक्ट की शुरुआत की जाए। इस योजना के तहत नया रायपुर से लगे लगभग एक दर्जन गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के साथ ही वहां स्कूल, अस्पताल जैसे सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना था। इस प्रोजेक्ट के तहत सड़क भी बन गई। यह कार्यक्रम 2020 तक के लिए था। सरकार इसके मूल उद्देश्य पर अब भी काम कर रही है।
राजधानी के रविवि में छात्रों से सीधी बात हर युवा के लिए सीख
छात्र: एयरफोर्स में सलेक्ट नहीं हुए? इसे कैसे लिया?
जवाब: मैंने इंतजार किया और मिसाइल उड़ा ली। तीनों सेनाओं का प्रमुख बना। खुद पर भरोसा रखो।
छात्र: रिसर्च में भी नाकाम रहे होंगे? तब धीरज कैसे रखा?
जवाब: असफलता के बावजूद लक्ष्य पता रहे, सफलता मिलेगी। मैंने यही किया?
छात्र: धर्म-जाति की राजनीति को किस रूप में देखते हैं?
जवाब: विकास की राजनीति होनी चाहिए। देश में लोग इसी पर भरोसा करते हैं।
छात्र: आपकी नजर में सफलता का क्या मतलब है?
जवाब: रचनात्मकता, इंसान की नेकदिली और निडरता का कांबिनेशन ही कामयाबी है।
हिंदी नहीं बोल पाने का अफसोस
डॉ. एसके पांडे, कुलपति रविवि ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि वे दो बार विश्वविद्यालय आए। एक बार राष्ट्रपति के तौर पर दूसरी बार एक टीचर के रूप में। बच्चों से खूब बात करना चाहते थे। उनके साथ बेमेतरा जाने का मौका मिला। अंग्रेजी में बच्चों के सवालों का जवाब दे रहे थे। मुझसे कहा कि हिंदी नहीं बोल पाने का हमेशा अफसोस रहेगा। इसीलिए देश के हर बच्चे तक संदेश नहीं पहुंचा पा रहा हूं। मुझे पता चला कि वे अपने अंतिम समय भी बच्चों को बड़े सपने दिखाते रहे, उनसे बात करती है। परलोक गमन हो तो ऐसा हो।
टीचर के बुलावे पर आया हूं...
22 नवंबर 2010...कलाम साहब के आने से दो दिन पहले हमें पता चला। मैंने स्कूल का न्योता भेजा तो मना हो गया। दोबारा सीधे उन्हीं के नाम से चि_ी लिखी। दो घंटे बाद जवाब आ गया, शाम 6 बजे का समय दे दिया। हमने आग्रह किया कि कुछ पहले आते तो ठीक रहता। उन्होंने समय 4 बजे का रखवा दिया। स्कूल आते ही उन्होंने कहा - एक टीचर के बुलावे पर आया हूं...। मंच पर बैठे और बच्चे दूर दिखे तो सबको नजदीक बुला लिया और काफी देर बात की। अब ऐसी खबर आई है कि यकीन मुश्किल है।
कौशल उन्नयन में देना चाहते थे साथ
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने लगभग 15 दिन पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अपने हाथों से चि_ी लिखी थी। वे युवाओं के कौशल उन्नयन में सेवा देना चाहते थे। मुख्यमंत्री ने भावुक होकर डॉ. कलाम की इस चि_ी का जिक्र किया। इस चि_ी में उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ में युवाओं के लिए कौशल उन्नयन में जब भी मेरी जरूरत होगी, हमेशा उपलब्ध रहूंगा। सीएम ने कहा कि यह प्रदेश डा. कलाम को कभी नहीं भूल सकेगा।
प्रदेश से जुड़ी थीं भावनाएं: रमन
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ से डॉ. कलाम का गहरा भावनात्मक संबंध था। नया रायपुर में प्रदेश की कला संस्कृति पर आधारित पुरखौती मुक्तांगन हमेशा उनकी याद दिलाएगा क्योंकि उन्होंने ही 2006 में इसका लोकार्पण किया था।
जगदलपुर से आत्मीयता: जोगी
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मुताबिक डा. एपीजे अब्दुल कलाम को जगदलपुर से खास लगाव था, शायद इसीलिए वे नक्सल मामले को लेकर भी काफी चिंतित रहते थे। वे नक्सल मुद्दे को सामाजिक आर्थिक बदलाव के माध्यम से हल करने पर जोर देते थे।
साइकिल से ही घूम लिया: भूपेश
मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम ने जगदलपुर शहर को साइिकल से घूमकर देखा है। उन्होंने विधानसभा में चर्चा के दौरान मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को खुद बताया था कि वे कई बार साइकिल से निकलते थे और पूरा जगदलपुर ऐसे ही घूमा।