छत्तीसगढ़ की 45 फीसदी आबादी को नसीब नहीं आयोडीन नमक
प्रदेश में 45 फीसदी आबादी को आयोडीन युक्त नमक नसीब नहीं है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फार पापुलेशन साइंसेज [आईआईपीएस] की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -3 में खुलासा किया गया है।
रायपुर [ब्यूरो]। प्रदेश में 45 फीसदी आबादी को आयोडीन युक्त नमक नसीब नहीं है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फार पापुलेशन साइंसेज [आईआईपीएस] की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे -3 में खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ को देश के उन आठ राज्यों में शामिल किया गया है जहां आयोडीन नमक आधी आबादी को नसीब नहीं होता। यह रिपोर्ट उन तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती है जिसमें आयोडीन युक्त नमक घर-घर तक पहुंचाने का दावा किया जाता रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक आयोडीन युक्त नगक का सेवन ग्रामीण क्षेत्रों के तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक होता है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ की एक तिहाई शहरी आबादी तक आयोडीन युक्त नमक नहीं पहुंच रहा है। ये आबादी उन शहरी गरीबों की है जो झुग्गी बस्तियों में निवास करती है। आयोडीन की कमी से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास क जाता है। वहीं बड़ों में गॉइटर [घेंघा] रोग और क्रेटिनिज्म जैसी खतरनाक बीमारी होती है। इन बीमारियों से बचने के लिए केंद्र सरकार ने 1980 में देश भर में आयोडीन युक्त नमक का वितरण करने की योजना बनाई और सभी राज्यों में बगैर आयोडीन युक्त नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध के तीन दशक बाद भी छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों में कमी नहीं आ रही है। इसकी बड़ी वजह आयोडीन युक्त नमक का हर घर तक नहीं पहुंच पाना है।
61 लाख परिवारों को अमृत नमक
प्रदेश में 61 लाख बीपीएल परिवारों के लिए हर महीने अमृत नमक जारी होता है। स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन हर महीने एक लाख 21 हजार क्विंटल से अधिक नमक सभी 27 जिलों में भेजता है। इसके बावजूद लोगों को आयोडीन युक्त नमक नहीं मिल पाता है।
धन के साथ बढ़ता है आयोडीन युक्त नमक का उपयोग
रिपोर्ट में बताया गया है लोगों की आर्थिक स्थिति से आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करने का सीधा संबंध है। लोगों में आर्थिक संपन्नता के साथ आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करने की प्रवृत्ति में वृद्धि दर्ज की गई है।
फेल हो चुका है अमृत नमक का सेंपल
उल्लेखनीय है कि प्रदेश गरीबों को मुफ्त में बांटे जा रहे आयोडीन युक्त अमृत नमक के सेंपल प्रदेश भर में फेल होते रहे हैं। छत्तीसगढ़ में उड़ीसा और गुजरात के सप्लायरों से नमक खरीदा जाता रहा है। गरीबों को दिए जाने वाले नमक में आयोडीन कम मिलाने या नहीं मिलाने के ढेरों मामले पहले भी उजागर हो चुके हैं।
गौतम बंदोपाध्याय, सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक परिवार तक आयोडीन युक्त नमक पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य शासन की है, लेकिन राज्य सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद इस जिम्मेदारी को पूरा करने में असफल रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि प्रदेश में आयोडीन की कमी से पैदा होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं। गरीबों को बांटे जाने वाले अमृत नमक कई बार आयोडीन टेस्ट में फेल है। रिपोर्ट के तथ्य से अमृृत नमक की असफलता को जोड़ दिया जाय तो छत्तीसगढ़ी जमीनी स्थिति अधिक भयावह है। राज्य सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।