सांसद की मौजूदगी में ईसाई आदिवासी बने थे हिंदू
रायपुर [ब्यूरो]। आगरा में मुस्लिम परिवारों की घर वापसी पर मचे विवाद के बीच बस्तर के आदिवासियों की घर
रायपुर [ब्यूरो]। आगरा में मुस्लिम परिवारों की घर वापसी पर मचे विवाद के बीच बस्तर के आदिवासियों की घर वापसी का एक वीडियो सामने आया है। भाजपा सांसद दिनेश कश्यप ने अक्टूबर के महीने में बस्तर ब्लॉक के मधोता में 33 क्रिश्चियन आदिवासी परिवारों की हिंदू धर्म में वापसी कराई थी। इस मसले को लेकर तब मधोता में काफी दिनों तक तनाव के हालात रहे थे। नईदुनिया ने अक्टूबर की इस घटना की संपूर्ण रिपोर्टिग की थी। दरअसल केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद से धर्म परिवर्तन पर बहस तेज हो गई है। राष्ट्रीय मीडिया में ऐसी घटनाएं लगातार सुर्खियों में हैं जिनमें धर्म के नाम पर समुदायों को बांटने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन छत्तीसग़़ढ के आदिवासी इलाकों में मीडिया की नजर से दूर आदिवासियों की घर वापसी के आयोजनों पर कम लोगों की ही नजर प़़डी है।
पिछले छह महीने के दौरान बस्तर के ग्रामीण इलाकों में ईसाई व हिंदू धर्म के नाम पर तनाव की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि आदिवासी परंपरा में ग्रामीणों के अपने देवी देवता व उपसना पद्धति है। सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बीपीएस नेताम ने कहा कि आदिवासी यहां के मूल निवासी हैं। सबसे ज्यादा संख्या गोंड आदिवासियों की है और वे गोंडी धर्म मानते हैं। न वे हिंदू हैं न मुस्लिम या क्रिश्चियन। लेकिन हिंदू संगठन व ईसाई मिशनरियां दोनों ही उन्हें अपने धर्मो में शामिल करने के लिए लालायित हैं। मजे की बात यह है कि आदिवासियों को इन धर्माें से कुछ खास लेना देना नहीं है। कई घरों में पति का धर्म हिंदू तो पत्नी का धर्म क्रिश्चियन है। गांवों में या परिवारों में इसके बावजूद कभी कोई तनाव की बात नहीं हुई, हां धर्म के नाम पर बस्तर के सौहार्द्र को चौपट करने के प्रयास जरूर होते रहे हैं।
छह महीने पहले तोकापाल के निकट लोहंडीगु़़डा ब्लॉक के बेलर में ग्राम देवी की वार्षिक पूजा के नाम पर चंदा लेने का मामला दोनों समुदायों में विवाद का कारण बन गया। जानकार बताते हैं कि कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों की शह पर पंचायत ने गांव के ईसाई परिवारों का पीडीएस का राशन बंद करा दिया। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ। एक महीने बाद लोहंडीगु़़डा ब्लॉक के ही बेलर गांव से इसी तरह के तनाव की खबरें आई। बेलर में पंचायत ने प्रस्ताव परित कर बाहरी धर्म प्रचारकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। छत्तीसग़़ढ क्रिश्चियन यूथ फोरम ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
पिछले अक्टूबर के महीने में धर्मातरण फिर सुर्खियों में तब आया जब बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने बस्तर ब्लॉक के ग्राम मधोता में 33 ईसाई परिवारों की घर वापसी कराई। इससे तनाव के हालात बने और गांव में कई दिनों तक पुलिस तैनात रही। और हाल ही में विश्व हिंदू परिषषद ने क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में प्रचार्य को फादर कहने पर आपत्ति की। यह मुद्दा भी उठा कि मिशनरी स्कूलों में ईसाई धर्म को प्रश्रय दिया जा रहा है और सरस्वती पूजा नहीं की जाती। मामला उलझा तो सर्वधर्म बैठक का आयोजन किया गया। क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा संचालित स्कूलों ने यह मान लिया कि प्राचार्यो को फादर की जगह प्राचार्य ही कहा जाएगा। स्कूलों में सरस्वती प्रतिमा लगाने की भी सहमति दी।
गौरतलब है कि गुरुवार को रायपुर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि भाजपा सरकार के संसदीय कार्यमंत्री ने धर्मातरण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सभी दलों को एकसाथ लाने की अपील कर चुके हैं। अब यह दूसरे दलों पर निर्भर करता है कि वे जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में कुछ करना चाहते हैं अथवा नहीं।
कानून बनना चाहिए
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने कहा कि मधोता में हिंदू संगठनों ने घर वापसी का कार्यक्रम किया था और उन्हें भी आमंत्रित किया था। यह धर्मातरण नहीं बल्कि घर वापसी थी। हमने उन्हें वापस लाया जिन्हें दूसरे धर्मो के लोग लालच देकर अपने साथ ले गए थे। मैं धर्मातरण के खिलाफ हूं और मेरा मानना है कि इसके खिलाफ कानून बनना चाहिए।
भाजपा कर रही ड्रामा
छत्तीसग़़ढ क्रिश्चियन फोमर के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल का कहना है कि बस्तर में घर वापसी के नाम पर भाजपा के लोग ड्रामा कर रहे हैं। इसका धर्म से कोई वास्ता नहीं है। यह अल्पसंख्यक समुदायों को डराने और अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास है। इसकी वजह से अल्पसंख्यक समुदाय डरा और घबराया हुआ है।
स्वागत होना चाहिए
इस मुद्दे पर विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश मोदी ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने कोई धर्म परिवर्तन तो नहीं कराया। लोगों ने स्वेच्छा से घर वापसी की है तो उसका स्वागत होना चाहिए। इसमें गांव के लोगों सहित सभी शामिल थे। स्कूलों में भारत माता की पूजा करने की बात में आखिर गलत क्या है।
फैक्ट फाइल
मई-जून में लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के सिरिसगुड़ा गांव में ईसाई परिवारों का पीडीएस राशन पंचायत ने बंद कराया। प्रशासनिक हस्तक्षेप से मामला सुलझा।
जुलाई में लोहंडीगु़़डा ब्लॉक के बेलर में पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर कथित बाहरी धर्म प्रचारकों के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। मामला हाईकोर्ट में।
अक्टूबर में भाजपा सांसद ने बस्तर ब्लॉक के मधोता में 33 आदिवासी परिवारों की पांव धोकर हिंदू धर्म में घर वापसी कराई। गांव में तनाव के हालात रहे।
नवंबर में विहिप ने बस्तर में चल रहे क्रिश्चियन मिशनरी स्कलों में सरस्वती पूजा न किए जाने और प्राचार्य को फादर कहने पर आपत्ति की। सर्वधर्म बैठक में क्रिश्चियन मिशनरियों ने मानी गलती।
धर्म परिवर्तन विरोधी कानून
छत्तीसग़़ढ उन पांच राज्यों में शुमार है जहां प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाया है। 2006 में बने इस कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 3 साल की सजा और 20 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इसमें यह भी साफ है कि अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराता है जो पहले अपने धर्म को छोड़ दूसरे धर्म में गया था तो उसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।