आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को नौकरी देगी सरकार
रायपुर [ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार नौकरी देने पर विचार कर
रायपुर [ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार नौकरी देने पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मण्डल के सदस्यों से रविवार को सीएम हाउस में मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आत्मसमर्पित नक्सलियों को राज्य सरकार होमगार्ड में भी भर्ती करना चाहती है। पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के नेतृत्व में बोर्ड के सदस्यों ने राज्य की नक्सल समस्या के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने प्रभावित इलाकों में सुरक्षा इन्तजाम के साथ-साथ जनता की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर अंचल में लगभग चार हजार स्थानीय युवाओं को राज्य पुलिस में सहायक आरक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है।
उन्होंने नक्सलियों को समाज तथा राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए आत्मसमर्पण तथा पुनर्वास नीतियों को और भी अधिक आकर्षक बनाने की जरूरत पर बल दिया। आत्मसमर्पित नक्सलियों को नौकरी देने के लिए अगर कुछ तकनीकी रकावटें हों तो उन्हें विधि सम्मत तरीके से हल करने का भी प्रयास किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने बोर्ड के सदस्यों को नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा, आवासीय स्कूलों के रूप में संचालित पोटा कैबिनों और मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत प्रयास आवासीय विद्यालयों के बारे में जानकारी दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष श्याम सरन ने बताया कि बोर्ड के सदस्य एक रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार को देंगे। इसमें नक्सल समस्या और उससे निपटने के लिए राज्य और केंद्र की योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही नक्सल नीति पर भविष्य में होने वाले बदलाव के बारे में रिपोर्ट सौंपी जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने बस्तर इलाके में सड़क नेटवर्क के साथ-साथ हवाई यातायात सम्पर्क तथा संचार नेटवर्क के विकास और विस्तार की जरूरत पर भी बल दिया।
टीम में ये सदस्य शामिल
बोर्ड के सदस्य डॉ. भास्कर बालकृष्णन [क्यूबा में भारत के पूर्व राजदूत] जयदेव राणाडे [पूर्व अतिरिक्त सचिव, कैबिनेट सचिवालय भारत सरकार], पीसी हालदार [पूर्व निदेशक आईबी] पेट्रिशिया मुकीम [पद्मश्री सम्मान प्राप्त समाज विज्ञानी और महिला अधिकार कार्यकर्ता] तथा प्रमीत पाल चौधरी [पूर्व विदेश संपादक हिन्दुस्तान टाइम्स] भी शामिल थे।