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छत्तीसगढ़ में कोयले के बडे़ सौदों पर रोक

By Edited By: Published: Thu, 28 Aug 2014 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 28 Aug 2014 04:08 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में कोयले के बडे़ सौदों पर रोक

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने छत्तीसगढ़ में असर दिखाना शुरू कर दिया है। कोरबा और रायगढ़ में एसईसीएल ने ई-आक्शन पर रोक लगा दी है। कोल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अब कोयला सिर्फ पॉवर कंपनियों को दिया जाएगा। वहीं कोर्ट का फैसला आने से पहले सामने आए तथ्यों से कोल ब्लॉक आवंटन की कालिख भी उजागर हो रही है। हालत यह है कि छत्तीसग़़ढ की कोयला खदानों का आवंटन कोयला मंत्रालय ने किया, लेकिन राज्य सरकार, ऊर्जा और पर्यावरण मंत्रालय की अनुशंसा लिए बिना ही आवंटन कर दिया गया। नईदुनिया को मिले दस्तावेजों के मुताबिक इस तरह की भयंकर ग़़डब़़डी बालको, प्रकाश इंडस्ट्री, वेदांता समूह सहित एक दर्जन कोल ब्लॉक देने में की गई। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि कोल ब्लॉक का आवंटन राज्य सरकार, ऊर्जा और पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कैसे दे दिया गया?

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दुर्गापुर दो और तारामेर कोल ब्लॉक का आवंटन बालको को किया गया। इसके लिए न तो राज्य सरकार ने अनुशंसा की थी, न ही ऊर्जा मंत्रालय ने। जबकि वेदांता कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटन करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय और सीईए ने अनुशंसा की थी, लेकिन इसको कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं किया गया। प्रकाश इंडस्ट्री को आवंटित फतेहपुर ईस्ट के लिए ऊर्जा मंत्रालय की ओर से अनुशंसा नहीं की गई थी। कोल मंत्रालय ने आठ ऐसी कंपनियों को कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं किया, जिनको कोल ब्लॉक देने के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने अनुशंसा की थी। छत्तीसग़़ढ में कोल ब्लॉक का अधिकांश आवंटन पॉवर के लिए किया गया, लेकिन कंपनियों ने आवंटन के बाद प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया। डीबी पावर को आवंटित दुर्गापुर दो/ सरिया, बालको को आवंटित दुर्गापुर दो/तारामेर, एईएस छत्तीसग़़ढ एनर्जी को आवंटित सयांग, एसकेएस इस्पात और प्रकाश इंडस्ट्री को आवंटित फतेहपुर, जेएसडी यवतमाल, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, आरकेएम पावरग्रेन, वीजा पावर और वेदांता विद्युत एनर्जी को आवंटित फतेहपुर ईस्ट की रिपोर्ट कंपनियों ने कोल ब्लॉक को सौंपी ही नहीं। कंपनियों को बताया था कि कोल ब्लॉक आवंटन के बाद प्रोजेक्ट में क्या प्रगति हुई। बताया जा रहा है कि इन कोल ब्लॉक में अब तक खुदाई का काम शुरू नहीं हुआ है।

खतरे में हजारों एक़़ड जंगल, हजारों आदिवासी

छत्तीसग़़ढ के सैक़़डों एक़़ड जंगल को कटने से रोकने के लिए हसदेव अरण्य और रायग़़ढ के मांड के कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। हसदेव अरण्य की 31 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन कोल ब्लॉक को आवंटित की गई है। यह एक समृद्ध वन संपदा तथा जैवविविधता से परिपूर्ण क्षेत्र है, जिसके कारण केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2009 में इसे नो गो क्षेत्र घोषिषत किया गया था। 2011 में यहां पर तीन कोयला खदानों परसा ईस्ट, केत बासन तथा तारा कोल ब्लॉक को पर्यावरण स्वीकृति जारी की गई थी। वहीं, रायग़़ढ के मांड क्षेत्र में 64 कोल ब्लॉक की पहचान की गई है। छत्तीसग़़ढ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने बताया कि यहां कोल ब्लॉक का आवंटन होने से 70 से 75 गांव के लगभग 70 हजार आदिवासियों को विस्थापित करना होगा। यह क्षेत्र सघन वन क्षेत्र है। यहां के कोल ब्लॉक को पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल सकती है, लेकिन छत्तीसग़़ढ के वन विभाग ने क्लीयरेंस के लिए प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। वहीं, कोरबा, सरगुजा एवं सूरजपुर जिले की सीमाओं पर स्थित हसदेव अरण्य में 17 कोयला खदानें प्रस्तावित हैं। इनके खुलने से लगभग एक लाख एक़़ड वन क्षेत्र एवं 30 से ज्यादा गांव प्रभावित होंगे।

विरोध में उतरे आदिवासी

प्रदेश में परसा ईस्ट और केटे बेसिन में अडानी को आवंटित कोल ब्लॉक का विरोध हो रहा है। इस कोल ब्लॉक से सरगुजा के परसा, केट, परोगिया, घटबर्रा और हरिहरपुर बेसिन के गांव प्रभावित हो रहे हैं। परसा कोल ब्लॉक से फतेहपुर, सलही, हरिहरपुर, जनार्दनपुर, इंगमारा, तारा और बैगापारा गांव के लोग प्रभावित हो रहे हैं। तारा कोल ब्लॉक से सरगुजा जिले के तारा और कंटराली गांव के सैक़़डों लोग प्रभावित हो रहे हैं। सरगुजा, रायग़़ढ, कोरबा और बस्तर के कोल ब्लॉक का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। इसमें परसा, परसा ईस्ट, केटे बेसिन, भाकुरमा मटरेंगा, पेंडारखी, मदनपुर नार्थ, मदनपुर साउथ, पुता, परोगिया, पिंडारखी, गि़़डमु़़डी, पतुरिया, मोरगा 1, मोरगा 2, मोरगा 3, मोरगा 4, नकिया एक, नकिया दो, सीधू नार्थ और सीधू साउथ शामिल हैं।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है। एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है। इसके बाद राज्य सरकार के सामने कोल ब्लॉक को लेकर स्थिति साफ हो पाएगी-सुबोध सिंह, सचिव, खनिज विभाग।


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