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राजनांदगांव में हल और महल की लड़ाई

By Edited By: Published: Mon, 14 Apr 2014 01:45 AM (IST)Updated: Mon, 14 Apr 2014 01:11 AM (IST)

राजनांदगांव [हरिकिशन शर्मा]। छत्तीसगढ़ की वीआइपी लोकसभा सीट राजनंदगांव में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद मधुसूदन यादव का टिकट काटकर मुख्यमंत्री रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को मैदान में उतारा है। अभिषेक को टक्कर देने को कांग्रेस ने जाति कार्ड खेलकर लोदी समुदाय के कमलेश्वर वर्मा को खड़ा किया है जो इस चुनाव को हल और महल की लड़ाई बताकर लड़ रहे हैं। लोकगायिका सीमा कौशिक भी अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

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रमन की छवि और मोदी लहर पर सवार अभिषेक का संसद पहुंचना तय माना जा रहा है, लेकिन कई स्थानीय मुद्दे हैं जो हार-जीत के अंतर पर असर डाल सकते हैं। भाजपा ने 2009 में यह सीट 1,19,074 वोट के अंतर से जीती थी। लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए चुनौती दिखाते हैं। राजनांदगांव की आठ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस और भाजपा के पास चार-चार सीटें हैं। भाजपा ने राजनांदगांव, दोंगागढ़, पंडरिया और कवरधा सीट जीती जबकि कांग्रेस ने खैरागढ़, दोंगरगांव, खुजी और मोहला मानपुर सीट जीतीं।

रमन के लिए राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र वैसे ही है जैसे गांधी-नेहरू परिवार के लए अमेठी और रायबरेली। रमन ने अपने संसदीय सफर की शुरुआत 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज मोतीलाल वोरा को हराकर यहीं से की। वह लगातार दूसरी बार राजनांदगांव विधानसभा सीट से विधायक बने हैं। वह इसी संसदीय क्षेत्र की कवरधा सीट से भी विधायक रह चुके हैं। इसलिए अभिषेक के लिए यह क्षेत्र नया नहीं है। पिछले साल विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पिता के लिए प्रचार भी किया था। पेशे से एमबीए 33 वर्षीय अभिषेक को अपने पिता की छवि का फायदा मिल रहा है। बीते दो साल में रमन ने यहां कई विकास कार्य कराए हैं। राजनांदगांव पहुंचने पर उसकी झलक भी मिलती है। यहां की सड़कों पर घूमते ही इस सीट के वीआइपी होने का अहसास हो जाता है। सड़कों को स्ट्रीट लाइटों और फुलवारी से सजाया गया है।

कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर पेशे से किसान हैं और जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। वह लोदी समुदाय से हैं और पिछड़े वर्ग के वोटों को लामंबद करने की कोशिश कर रहे हैं। राजनांदगांव के लोगों को दुख है कि कांग्रेस जाति के आधार पर चुनाव लड़ रही है। हॉकी खिलाड़ी रहे सुरेश डाकलिया का कहना है कि यहां कभी जाति के आधार पर वोट नहीं पड़ा। लेकिन कांग्रेस जाति को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रही है जो ठीक नहीं है।

कुछ स्थानीय मुद्दे भी हैं। क्रॉस-हैंड ड्राइविंग के लिए गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने वाले सतीश भट्टड़ का कहना है कि यहां मुख्य मुद्दा दो रेल लाइनों का है। पहली, जगदलपुर से जबलपुर वाया कवरधा, डल्ली-राजहरा रेल लाइन तथा दूसरी चंद्रपुर से रानंदेगांव और जबलपुर तक। इन दो रेल लाइनों के बनने से इस क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।

वैसे राजनांदगांव हिंदी के तीन दिग्गज साहित्यकारों- गजानन माधव मुक्तिबोध, पदम लाल पुन्नालाल बक्शी और बलदेव प्रसाद मिश्र की कर्मभूमि भी रहा है।

राजनांदगांव में करीब 25 प्रतिशत आबादी आदिवासी है जो नक्सल प्रभावित बक्सर तथा गढ़चिरौली जिलों की सीमा से लगे तीन ब्लॉकों- मोहला, मानपुर और चौकी में केंद्रित है।


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