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अब फिर होगी रेलवे की जमीन में खेती

रेलवे की खाली पड़ी हजारों एकड़ जमीन पर फिर से हरियाली लहलाएगी। खाली और बेकार पड़ी जमीन को खेती के लिए रेलवे के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे ने अधिक खाद्यान्न उत्पादन योजना शुरू की है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2015 05:17 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2015 05:24 AM (IST)
अब फिर होगी रेलवे की जमीन में खेती

बिलासपुर (निप्र)। रेलवे की खाली पड़ी हजारों एकड़ जमीन पर फिर से हरियाली लहलाएगी। खाली और बेकार पड़ी जमीन को खेती के लिए रेलवे के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे ने अधिक खाद्यान्न उत्पादन योजना शुरू की है।

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जमीन आवंटन के लिए नियम बनाया गया है। पहले भी रेलवे की खाली जमीन को खेती के लिए दिया जाता था, लेकिन कुछ साल से इस पर रोक लगा दी गई थी। इससे रेलवे की कीमती और उपजाऊ जमीन बंजर हो गई। साथ ही कई एकड़ जमीन पर बेजाकब्जा हो गया है। अब रेलवे ने बेकार पड़ी जमीन को सुरक्षित रखने के लिए अलग से योजना बनाई है। नई इस योजना से रेलवे को दोहरा लाभ होगा।

एक तो खाली पड़ी जमीन से आय होगी। साथ ही जमीन को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा। राज्य के कई हिस्सों में है जमीन रेल मंडल के अफसरों के अनुसार छत्तीसगढ़ में रेलवे के पास काफी उपजाऊ जमीन है। मुंबई-हावड़ा मेन लाइन की दोनों तरफ ही सैकड़ों एकड़ जमीन है। इसके साथ ही बस्तर संभाग से लेकर राज्य के अधिकांश जिलों में रेलवे की बड़े पैमाने पर जमीन खाली पड़ी हुई है।

व्यावसायिक उपयोग की भी बनी थी योजना रेल अफसरों के अनुसार यूपीए सरकार के कार्यकाल में रेलवे की खाली पड़ी जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने की भी योजना बनी थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। इस योजना के तहत शहरों के आसपास स्थित जमीन पर व्यावसायिक कॉंपलेक्स बनाया जाना था। रिटायरमेंट से एक साल पहले वापस किसी भी कर्मी को आवंटित की गई जमीन उसके सेवानिवृत्त होने के एक साल पहले वापस ले ली जाएगी।

रेल अफसरों के अनुसार जिन कर्मियों की सेवा अवधि पांच साल से अधिक बची हो, उन्हें ही जमीन दी जाएगी। केवल एक हेक्टेयर जमीन नियमों के अनुसार एक व्यक्ति को केवल एक हेक्टेयर जमीन ही दी जाएगी। कम मांग, उपलब्धता तथा विशेष अनुरोध पर दो हेक्टेयर तक जमीन दी जा सकती है। जमीन एक बार में दो साल के लिए आवंटित की जाएगी, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। खेती करने की शर्तें योजना के तहत रेलवे के केवल तृतीय और चतुर्थ वर्ग के स्थायी कर्मचारियों को ही जमीन दी जाएगी।

गेटमैन, गैंगमैन, एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर स्थाई कर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी। निर्धारित लाइसेंस शुल्क प्रतिवर्ष अग्रिम जमा करना पड़ेगा। सिंचाई की व्यवस्था स्वयं के खर्च पर करनी पड़ेगी। लाइसेंसी भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार नहीं होगा। रेलवे की खाली जमीन पहले भी खेती के लिए दी जाती थी। बाद में इस पर रोक लगा दी गई थी। अधिक खाद्यान्न उत्पादन योजना के तहत अब फिर से इस योजना को लागू किया जा रहा है। योजना के तहत जमीन केवल रेलकर्मियों को ही दी जाएगी।

-आरके अग्रवाल सीपीआरओ, बिलासपुर जोन


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