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किसान आत्महत्या पर फिर सियासत गरमाने के आसार

छत्तीसगढ़ में किसान की आत्महत्या को लेकर एक बार फिर घमासान के हालात हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2016 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2016 02:06 PM (IST)

रायपुर (ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में किसान की आत्महत्या को लेकर एक बार फिर घमासान के हालात हैं। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने दावा किया है कि 53 मामलों में उन्होंने जांच कराई है, जिसमें से तकरीबन हर मामले में किसान की आत्महत्या की वजह फसल चौपट होने के कारण गहरी निराशा या कर्ज जमा नहीं कर पाने और परिवार के भरण पोषण की चिंता है।

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राज्य सरकार ने अभी तक एक भी मामले में यह स्वीकार नहीं किया है कि किसान की आत्महत्या सूखा या कर्ज से हुई है। आम आदमी पार्टी ने सरकार पर किसानों के प्रति निष्ठुर होने का आरोप लगाते हुए अब केंद्रीय मानव अधिकार आयोग से शिकायत करने की तैयारी कर ली है।

प्रदेश कांग्रेस ने किसानों की आत्महत्या के 53 मामलों को संज्ञान में लिया है। प्रत्येक मामले में जांच समिति बनाकर उसकी जांच भी कराई है। अब तक की आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के राजनांदगांव, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, धमतरी, रायपुर, कोंडागांव, बलौदाबाजार-भाठापारा आदि जिलों में 53 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। अकेले राजनांदगांव में 12 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।

वहीं बालोद में आठ से अधिक दुर्ग में चार, रायपुर छह, बलौदाबाजार-भाटापारा में चार से अधिक, कोंडागांव 2, धमतरी 5 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें कांग्रेस की ओर से जांच कमेटी गठित की गई। प्रत्येक मामले में अलग-अलग गठित जांच दल ने गांव का दौरा कर परिवार के सदस्यों और गांव के जिम्मेदार लोगों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयारी की है।

तकरीबन सभी मामलों में यह बात सामने आई है कि आत्महत्या करने वाले किसान की फसल पूरी तरह या आंशिक रूप से चौपट हुई है। इसके चलते वह सोसाइटी और बाजार से लिए गए कर्ज को चुकाने की स्थिति में नहीं है। सभी मामलों में किसान पर कोई न कोई बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारी रही है, जिसे वह पूरा करने में खुद को अक्षम महसूस करते हुए गहरी निराशा में डूबा हुआ था। यही अंधकार और निराशा उसकी मौत की वजह है।

आप पार्टी की जांच में भी कर्ज और सूखा

आप ने आठ किसानों के प्रकरण में अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इन सभी मामलों में किसानों की आत्महत्या के पीछे कर्ज, सूखा को वजह माना गया है। रिपोर्ट में सबसे दुखद मामला एक किसान के बेटे का माना गया है। 19 साल के किसान पुत्र ने पिता की बीमारी और लाचारी को वजह बताया है।

सरकार ने इस किसान पुत्र को किसान मानने से इंकार कर दिया। है। इसकी शिकायत आप ने छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग से भी की है, लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब वे इसकी शिकायत केंद्रीय मानव अधिकार आयोग से करने की तैयारी कर रहे हैं।

प्रगतिशील किसान मंच ने की शिकायत

प्रगतिशील किसान मंच के अध्यक्ष आर के गुप्ता ने राज्य मानवअधिकार आयोग से किसानों की आत्महत्या के मामले की शिकायत कर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। मंच ने इस बात पर गहरी आपत्ति दर्ज की है कि आत्महत्या करने वाले किसानों को सरकार शराबी, झगड़ालू और बीमार बता रही है। यह मंच भी इस मामले को आंदोलन का रूप देने की तैयारी कर रहा है।

सरकार की नजर में केवल 18 किसानों की आत्महत्या

राज्य सरकार की नजर में अब तक केवल 18 किसानों ने आत्महत्या की है। इसमें छह किसान राजनांदगांव, धमतरी में 2, बालोद 6, दुर्ग 1, कोण्डागांव 1, और रायपुर में दो किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से राजनांदगांव जिले के तीन किसानों के परिवार को कुल 1 लाख 60 हजार रुपए की आर्थिक मदद की गई है।

प्रदेश के 117 विकासखण्डों में सूखे के हालात हैं। राज्य सरकार हर कदम पर किसानों के साथ है। प्रदेश में किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। हर मामले की दण्डाधिकारी जांच कराई गई है, इनमें से एक भी मामले में किसान के सूखे और कर्ज से प्रभावित होने के कारण आत्महत्या करने की बात सामने नहीं आई। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां इस मामले में राजनीति कर रही हैं। - प्रेमप्रकाश पाण्डेय, राजस्व एवं आपदा मंत्री

प्रदेश में 53 किसानों ने अब तक आत्महत्या की है। कांग्रेस ने हर मामले की अलग-अलग जांच कराई है। जांच में किसानों के फसल चौपट होने और कर्ज में डूबना कारण के रूप में सामने आया है। सरकार इन किसानों को शराबी, बीमार, झगड़ालू बताकर उनका अपमान कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। -चंद्रशेखर शुक्ला, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस किसान मोर्चा

प्रदेश सरकार अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ रही है। प्रदेश में 31 मामले हमारे संज्ञान में आए हैं। आठ की विस्तार से जांच कर रिपोर्ट राज्य मानव अधिकार आयोग को सौंपी है, लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। महाराष्ट्र के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि किसान आत्महत्या करता है तो इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। इसके कानूनी पहलू पर विचार कर रहे हैं। अब हम केंद्रीय मानव अधिकार आयोग से इस मामले की शिकायत करेंगे। -संकेत ठाकुर, प्रदेश संयोजक, आम आदमी पार्टी


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