जनवरी-मार्च की तिमाही में चालू खाते में घाटे की सुधरी स्थिति, निर्यात में गिरावट से सीएडी के फिर बढ़ने के आसार
आरबीआइ का डाटा बताता है कि सेवा क्षेत्र में निर्यात में काफी प्रशंसनीय वृद्धि होने और व्यापार घाटा कम होने की वजह से सीएड उक्त तिमाही में कम रहा है। हालांकि अगर पूरे वित्त वर्ष 2022-23 की बात करें सीएडी का अनुपात (जीडीपी के मुकाबले) दो फीसद रहा है जबकि वर्ष 2021-22 में यह 1.2 फीसद था। यह भी बता दें कि वर्ष 2021-22 पर कोरोना महामारी का प्रकोप था
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जैसे जैसे देश की इकॉनोमी कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध संकट से बाहर निकलती रही वैसे वैसे चालू खाते में घाटे (विदेशी मुद्रा के देश में आने और देश से बाहर जाने का अंतर) की स्थिति भी सुधरती रही।
जनवरी से मार्च, 2023 की तिमाही में चालू खाते में घाटा (सीएडी) कुल जीडीपी के मुकाबले महज 0.2 फीसद रहा है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह दो फीसद था। यह आंकड़ा मंगलवार को आरबीआइ की तरफ से जारी किया गया है।
सीएडी को बढ़ाने व घटाने में आयात व निर्यात का सबसे ज्यादा योगदान होता है। आयात-निर्यात की मौजूदा स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में सीएडी बढ़ी हुई हो सकती है क्योंकि निर्यात के मोर्चे पर हाल के महीनों में प्रदर्शन खास नहीं रहा है।
इस साल सीएडी का अनुपात दो फीसद रहा
बहरहाल, आरबीआइ का डाटा बताता है कि सेवा क्षेत्र में निर्यात में काफी प्रशंसनीय वृद्धि होने और व्यापार घाटा कम होने की वजह से सीएडी उक्त तिमाही में कम रहा है। हालांकि, अगर पूरे वित्त वर्ष 2022-23 की बात करें सीएडी का अनुपात (जीडीपी के मुकाबले) दो फीसद रहा है जबकि वर्ष 2021-22 में यह 1.2 फीसद था।
यह भी बता दें कि वर्ष 2021-22 पर कोरोना महामारी का प्रकोप था और उस दौरान देश से आयात व निर्यात दोनो काफी कम हो गये थे। आरबीआइ के मुताबिक जनवरी-मार्च, 2023 में कुल सीएडी 1.3 अरब डॉलर का था जबकि जनवरी-मार्च, 2022 में यह 16.8 अरब डॉलर का था।
प्रवासी भारतीयों ने इस साल 28.6 अरब डॉलर की राशि भारत भेजी
इस दौरान व्यापार घाटा 71.3 अरब डॉलर से घट कर 52.6 अरब डॉलर हो गया था। सेवा निर्यात में वृद्धि होने के साथ इस दौरान निजी क्षेत्र से बाहर आने व वाली राशि में भी इजाफा हुआ था और प्रवासी भारतीयों की तरफ से भेजी जाने वाली रकम भी बढ़ी हुई थी।
प्रवासी भारतीयों ने इस जनवरी-मार्च, 2023 में कुल 28.6 अरब डॉलर की राशि भेजी थी जो एक वर्ष पहले के मुकाबले तकरीबन 21 फीसद ज्यादा थी। इसके अलावा इस दौरान एफडीआइ के तौर पर 6.4 अरब डॉलर की राशि आई जबकि जनवरी-मार्च, 2022 में दो अरब डॉलर का एफडीआइ आया था।
चालू वित्त वर्ष में फिर से बढ़ सकता है सीएडी
इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1.7 अरब डॉलर की राशि भारतीय बाजार से निकाली थी जबकि एक पहले इन निवेशकों ने 15.2 अरब डॉलर की राशि बाहर निकाली थी।
क्रिसिल लिमिटेड के चीफ इकॉनोमिस्ट डी के जोशी का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून, 2023 में सीएडी फिर से बढ़ सकता है। कारण यह है कि पिछले दो महीनों से निर्यात का प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक है। खास तौर पर सेवा क्षेत्र में निर्यात भी खास प्रदर्शन नहीं कर रहा है।