Trump ने खत्म किया DACA: जाने इसकी हर अहम बात
DACA के खात्मे से हजारों लोगों को निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा के समय के एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को रद्द कर दिया गया है। इसे डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड एराइवल (DACA) के नाम से जाना जाता है। इसका रद्द किया जाना युवा अप्रवासियों की मुश्किलों को बढ़ाता नजर आ रहा है।
यह ऐतिहासिक कदम 800,000 श्रमिकों को प्रभावित कर सकता है। इसमें 20,000 से अधिक भारतीय मूल के अमेरिकी शामिल हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने अपने फिंगर प्रिंट और अन्य जानकारियों के साथ उस वक्त अमेरिकी सरकार का विश्वास किया जब उन्होंने डाका के लिए आवेदन किया था। डाका प्रोग्राम ने उन लोगों को राहत प्रदान कर रखी थी जिनके पास दस्तावेज नहीं थे और इन्हें नौकरी के लिए कानूनी तौर पर आवेदन करने या शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने की भी इजाजत दी गई थी।
कोई इस प्रोग्राम के अंतर्गत खुद को एनरोल्ड कैसे करवा सकता था:
इसके लिए इमीग्रेंट का डाका के आवेदन के दौरान 15 वर्ष का होना जरूरी है। उन्हें यह साबित करना होता था कि वो 16 वर्ष का होने से पहले अमेरिका लाए जा चुके हैं और जब प्रोग्राम लॉन्च किया गया है वो 31 वर्ष से कम आयु के थे। इसके लिए एप्लीकेशन कॉस्ट 500 डॉलर थी और इस परमिट का रिन्यूअल हर साल में कराना जरूरी था। एप्लीकेशन और रिन्यूअल में कई हफ्तों का समय लगता है।
अमेरिका में रह रहे भारतीयों का अब क्या होगा?
साउथ एशियन अमेरिकंस लीडिंग टूगेदर (एसएएएलटी) ने बताया भारत से लगभग 20,000 लोग जो अमेरिका में गैरकानूनी रूप से आए थे, उन बच्चों को अब निर्वासन का डर है। एसएएएलटी ने बताया, “5000 से अधिक भारतीय एवं पाकिस्तानी समेत 27,000 से अधिक एशियाई मूल के अमेरिकी पहले ही डाका प्राप्त कर चुके हैं। अतिरिक्त अनुमान के मुताबिक 17,000 व्यक्ति भारत से और पाकिस्तान से 6,000 लोग डाका के पात्र हैं। ये आंकड़े भारत को डाका पात्रता के हिसाब से दुनिया के 10 देशों में शुमार करते हैं। अब डाका के रद्द हो जाने के बाद इन व्यक्तियों को प्रशासन के विवेक पर निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है।”
ट्रंप ने क्यों लिया डाका को खत्म करने का फैसला:
ट्रम्प पर जाहिर तौर पर कई राज्यों से दबाव में था, जिन्होंने इस कार्यक्रम को असंवैधानिक पाया था और उन्होंने इसे न हटाए जाने की सूरत में मुकदमा करने की धमकी दी थी। यह भी व्यापक रूप से अनुमान लगाया गया है कि ट्रम्प ने हिस्पैनिक अमेरिकियों को अलग-थलग करने करने का लक्ष्य रखा है। यह अमेरिकी आबादी का एक बढ़ता हुआ हिस्सा और एक महत्वपूर्ण मतदाता दल है।