क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं होता फ्री, कंपनियां चार्ज के साथ लगाती हैं बड़ी पैनल्टी
नोटबंदी के बाद से ही अधिकांश लोग अपनी जरूरतों के लिए डिजिटल माध्यम (क्रेडिट और डेबिट कार्ड) का इस्तेमाल कर रहे हैं
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से ही अधिकांश लोग अपनी जरूरतों के लिए डिजिटल माध्यम (क्रेडिट और डेबिट कार्ड) का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे तो क्रेडिट कार्ड कई वर्षों से चलन में है, लेकिन भारत में बेहद कम ही लोग इसका इस्तेमाल करते है। काफी सारे लोगों का यह भी मानना है कि कार्ड का इस्तेमाल फ्री होता है। लेकिन यह जानकारी पूरी तरह से सच नहीं है। यह अलग बात है कि कई बैंको ने पीओएम (प्वाइंट ऑफ सेल) व ऑनलाइन ट्रांजैक्शन चार्जेस या तो घटा दिए हैं या खत्म कर दिए है। आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि कार्ड के इस्तेमाल पर काफी सारे चार्जेस लगते हैं। इसलिए अगर आप भी कार्ड के इस्तेमाल के फ्री होने की किसी गफलत में हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाइए।
जानिए कौन कौन से चार्जेस लगते हैं:
बैंकों की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले कुछ कार्ड (क्रेडिट) आजीवन फ्री होते हैं। मसलन, उनकी कोई भी सालाना फीस नहीं होती है। ऐसे कार्ड्स फ्री जरूर लगते हैं, लेकिन असल में उनके यूसेज चार्जेस चार्जेबल कार्ड्स से भी ज्यादा होते हैं। कार्ड की सालाना मेंटेनैस फीस 300 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक हो सकती है। वहीं कुछ कार्ड्स पहले वर्ष के लिए 10,000 रुपए तक चार्ज करते हैं और फिर अगले साल से चार्जेस कम कर देते हैं। हां अगर कार्ड तय सीमा से अधिक इस्तेमाल हो जाए तो कई कार्ड कंपनियां इन चार्जेस को खत्म कर देती हैं।
एक बार जब आप कार्ड का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा करने लगते हैं तो आपकी खर्च करने की लिमिट अपर्याप्त हो जाती है। आप कई बार लिमिट पार भी कर देते हैं। कार्ड लिमिट से ऊपर इस्तेमाल करने पर कंपनियां 2 फीसदी से 2.5 फीसदी तक की पैनल्टी लगा देती है।
कंपनियां आप पर लगा सकती हैं पेनल्टी:
हर महीने के लिए एक तय दिन होता है जिस दिन अपने मासिक यूसेज की न्यूनतम बकाया को सेटल कर सकते हैं। अगर आप इसका भुगतान समय से नहीं करते हैं तो कार्ड की नियम व शर्तों के तहत आप पर पेनल्टी लगाई जाती है। सामान्य तौर पर क्रेडिट कार्ड कंपनियां 20,000 से कम की राशि पर 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक और 20,000 से ऊपर के लिए 800 रुपए तक पेनल्टी लगा देते हैं।
कार्ड का स्टेटमेंट जरूर चेक करें:
अपनी कार्ड की स्टेटमेंट को ध्यान से चेक करना चाहिए। अगर आप अपनी स्टेटमेंट की डुप्लीकेट कॉपी मांगते हैं तो इसके लिए थोड़े पैसे देने पड़ते हैं। इसके लिए कंपनिया 50 रुपए से लेकर 200 रुपए तक चार्ज करती हैं। यदि आप इस चार्ज से बचना चाहते हैं तो इसके लिए कार्ड प्रोवाइडर से ऑनलाइन रजिस्टर करें। यदि आप क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो यह डेमेज भी हो सकता है। इसे रिप्लेस कराने के लिए 200 से 400 रुपए लगते हैं। यह चार्जेस कार्ड कंपनियों पर निर्भर करते हैं।
पेट्रोल भरवाते समय रहें सतर्क:
ऊपर बताए गए चार्जेस के अलावा क्रेडिट कार्ड पर फ्यूल भरवाते समय सरचार्ज, सर्विस चार्ज, फॉरन करेंसी ट्रांजैक्शन चार्ज, चेक बाउंस चार्ज, एटीएम विद्रॉल ट्रांजैक्शन चार्ज और एटीएम से नकदी निकासी पर ब्याज लगता है। देश के बाहर किए गए ट्रांजेक्शन के मामले में सबसे पहले विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपए में नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर (मास्टर/वीजा) की ओर से तय दर के हिसाब से परिवर्तित किया जाता है और लेन-देन के मूल्य का एक खास फीसदी शुल्क के तौर पर लिया जाता है। अगर कोई ग्राहक अपनी क्रेडिट लिमिट से ज्यादा खर्च करता है तो ओवरड्राफ्ट सीमा पार करने का शुल्क लगाया जाता है। आम तौर पर यह खर्च की गई राशि का एक खास फीसदी होता है और इसकी न्यूनतम एवं अधिकतम सीमा निर्धारित होती है।
सिबिल स्कोर होता है प्रभावित:
क्रेडिट यूटीलाइजेशन सिबिल स्कोर प्रभावित करता है, जो कि लोन लेने के समय मुश्किल खड़ी कर सकता है। कार्ड के चयन के समय हमेशा अन्य शुल्क, ब्याज दरें और नियम व शर्तें जरूर पढ़ें। यदि कार्ड का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो इसपर रिवार्ड प्वाइंट, छूट और कैश बैक मिलता है। साथ ही ये आपके बिगड़े सिबिल स्कोर को भी सुधारने में मददगार होता है।