मुकेश अंबानी ने की अनिल अंबानी से डील, जानिए आर-कॉम और जियो के सौदे से जुड़ी 10 बड़ी बातें
आर-कॉम के साथ हुई जियो की डील से मुकेश अंबानी के पास एक बार फिर से वो टेलिकॉम कंपनी आ गई है जो बटवारे के दौरान उनसे अलग हो गई थी
नई दिल्ली (बिनजेस डेस्क)। गुरुवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस जियो के बीच हुए बड़े सौदे के बाद शुक्रवार को आर-कॉम के शेयर्स में तेजी देखने को मिली। शुक्रवार के कारोबार में आर कॉम का शेयर 35 फीसद के उछाल के साथ 41.77 रुपए के स्तर पर पहुंच गया। बड़े भाई की कंपनी को साथ डील करके छोटे भाई अनिल अंबानी को बेशक फायदा होगा। इस सौदे से मिली रकम का इस्तेमाल अनिल अंबानी अपने कर्जे को कम करने के लिए करेंगे।
गुरुवार को आर-कॉम का हाल: सुबह के करीब 11.15 बजे बीएसई पर रिलायंस कम्युनिकेशन्स का शेयर 19.83 फीसद की बढ़त के साथ 37.10 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसका दिन का उच्चतम स्तर 41.77 का और निम्नतम स्तर 34.05 रुपये का रहा है। वहीं, इसका 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर भी 41.77 का और निम्नतम 9.60 का रहा है।
आर-कॉम और जियो सौदे से जुड़ी 10 बड़ी बातें:
- अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन्स ने गुरुवार को रिलायंस जियो इन्फोकॉम, जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी की ही कंपनी है के साथ करार समझौके की घोषणा की। हालांकि इन दोनों कंपनियों के बीच हुई डील कितने की हुई है इसका आधिकारिक खुलासा अब तक नहीं हुआ है। लेकिन सूत्रों की मानें तो ये सौदा 24,000 करोड़ रुपए से लेकर 25,000 करोड़ रुपए तक का हो सकता है।
- दोनों कंपनियों के बीच यह सौदा रिलायंस के फाउंडर (संस्थापक) रहे धीरूभाई अंबानी के जन्मदिन के खास मौके पर हुआ है। यह उनकी 85वीं जन्मशती थी।
- इस करार में रिलायंस कम्युनिकेशंस के स्पेक्ट्रम, टॉवर, फाइबर ऑप्टिक और अन्य टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की बिक्री होनी है। हालांकि फिलहाल यह डील सरकार और अन्य नियामकीय अनुमोदनों के अधीन है।
- इस डील के बाद रिलायंस कम्युनिकेशन्स को तत्काल प्रभाव से फायदा होगा। आर-कॉम पर मौजूदा समय में 45000 करोड़ का कर्ज है जिसे वह हर हाल में कम करना चाहती है। माना जा रहा है कि आर-कॉम इस डील से मिले पैसों का इस्तेमाल अपने कर्ज को कम करने के लिए करेगी।
- रिलायंस कम्युनिकेशंस की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि रिलायंस जियो संपत्तियों के लिए सबसे अधिक बोलीदाता के रूप में उभरा है और बिक्री के जनवरी 2015 से मार्च 2018 के बीच चरणबद्ध तरीके से होने की उम्मीद है।
- रिलायंस कम्युनिकेशन्स का कहना है कि इस डील के अंतर्गत 800/900/1800/2100 मेगाहर्ट्ज बैंड में 122.4 मेगाहर्ट्ज का 4जी स्पेक्ट्रम शामिल है। साथ ही इसमें 43,000 से ज्यादा का टॉवर बिजनेस, 1,78,000 किलोमीटर का फाइबर बिजनेस और 248 मीडिया कन्वर्जेंस नोड्स भी शामिल है।
- इस बिक्री के बाद वह टेलिकॉम कंपनी भी अब रिलायंस इंडस्ट्री के अंतर्गत आ जाएगी जो कि साल 2002 में टेलिकॉम में चली गई थी। यह अभी तक रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड के नाम पर बड़े भाई मुकेश अंबानी के नेतृत्व में काम करती थी।
- साल 2005 में इन दोनों भाइयों के बीच एक विवाद ने रिलायंस इंडस्ट्रीज का विभाजन करा दिया था। इस विभाजन में मुकेश अंबानी ने ऑयल और गैस सेक्टर अपने पास रखा था जबकि टेलिकॉम और पावर बिजनेस अनिल अंबानी के पास चला गया था।
- हालांकि मुकेश अंबानी ने एक बार फिर से रिलायंस जियो के जरिए सितंबर 2016 में टेलिकॉम सेक्टर में एंट्री मारी। जियो ने पूरे टेलिकॉम सेक्टर को कंसॉलिडेशन मोड में जाने को मजबूर कर दिया। इतना ही नहीं जियो की फ्री कॉलिंग और अनलिमिटेड डेटा प्लान ने अन्य टेलिकॉम कंपनियों को भी सस्ती दरों पर डेटा टैरिफ देने को मजबूर कर दिया।
- अगर सिर्फ सब्सक्राइबर बेस की बात करें तो रिलायंस जियो भारत में तेजी से बढ़ती टेलिकॉम कंपनियों में से एक है, जिसका यूजर बेस करीब 15 करोड़ का है। इस डील के जरिए रिलायंस की 4 स्पैक्ट्रम बैंड तक पहुंच बढ़ेगी।