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स्मार्ट ट्रैवलिंग में छिपा है बचत का राज

घरेलू पर्यटन का रुख अब भारत में भी बदलने लगा है। कम से कम महानगरों में रहने वाले नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक अवसर में बदल गया है। यही वजह है कि आजकल तीन से चार दिन की एक साथ छुट्टियां आते ही लोगों को बैग पैक कर घर

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2015 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2015 11:37 AM (IST)

घरेलू पर्यटन का रुख अब भारत में भी बदलने लगा है। कम से कम महानगरों में रहने वाले नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक अवसर में बदल गया है। यही वजह है कि आजकल तीन से चार दिन की एक साथ छुट्टियां आते ही लोगों को बैग पैक कर घर से निकल निकटवर्ती पर्यटन स्थलों तक पहुंचने में देर नहीं लगती। लेकिन आमतौर पर जब लोग इस तरह घूमने जाते हैं तो खर्च पर खास ध्यान नहीं देते। जबकि यदि अचानक बनने वाले इन कार्यक्रमों में भी छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो आप न केवल अपनी जेब पर बोझ कम कर सकते हैं बल्कि अपनी यात्रा को ज्यादा आरामदेह और सुकून भरी बना सकते हैं।

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अपने शहर के आसपास वीकेंड अथवा दो तीन दिन का कोई भी कार्यक्रम बनता है तो अक्सर लोग टैक्सी लेना पसंद करते हैं। इसकी कई वजह हैं। पहली तो परिवार के सदस्यों की संख्या अधिक होने की वजह से अपनी गाड़ी में जगह कम पडऩा। जबकि दूसरी वजह यह है कि आमतौर पर लोग घूमने का पूरा मजा लेने के चलते ड्राइव करना पसंद नहीं करते। किराये की टैक्सी में अब तरह तरह के विकल्प हैं।

पहला, अगर आप दो तीन दिन के लिए बाहर जा रहे हैं तो अब आपको इतने दिन के लिए टैक्सी बुक करने की आवश्यकता नहीं है। अब टैक्सी सर्विसेज में ऐसे ऑपरेटर भी मौजूद हैं जो आपको आपके गंतव्य तक ड्रॉप और निश्चित दिन पर पिकअप की सुविधा भी देते हैं। ऐसा करके आप न केवल तीन दिन टैक्सी रखने के नियमों का पालन करने से बच जाते हैं बल्कि ड्राइवर एलाउंस आदि की भी बचत कर सकते हैं। ऐसे टैक्सी ऑपरेटरों का इस्तेमाल आप दूसरे शहरों तक जाने के लिए भी कर सकते हैं। ये केवल एक तरफ का किराया लेते हैं। जबकि आमतौर पर प्राइवेट टैक्सी ऑपरेटर सिर्फ ड्रॉप करने के लिए भी दोनों तरफ का किराया वसूलते हैं।

कहीं भी बाहर जाने के लिए कार बुक करते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि केवल टैक्सी नंबर की ही गाड़ी लें। कई ऑपरेटर सस्ते का लालच देकर निजी नंबरों की गाडिय़ां भी किराये पर चलाते हैं जो गैरकानूनी है। इन गाडिय़ों के पकड़े जाने पर इनमें बैठे यात्री की भी उतनी ही जवाबदेही मानी जाती है। साथ ही ऐसी गाडिय़ों में सफर के दौरान होने वाली दुर्घटना के बाद बीमा कंपनियां भी आपके मुआवजे पर सवाल उठा सकती हैं।

इस बात का ख्याल भी रखें कि जिस ऑपरेटर से आप टैक्सी ले रहे हैं उसके ड्राइवरों का पुलिस सत्यापन हुआ है अथवा नहीं। इससे आप अपने लिए अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था कर लेते हैं। इसके अलावा कार में जितने लोगों की जगह है उतने यात्रियों के लिए ही इस्तेमाल करें। क्षमता से अधिक लोगों को एडजस्ट करने के चक्कर में न केवल आप अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं बल्कि वाहन के साथ भी अन्याय करते हैं। यात्रा शुरू होने से पहले ही यात्रा की तैयारी कर लें। यात्रा के स्थान के बारे में पूरी जानकारी लेने से लेकर होटल आदि पहले ही बुक करने से न केवल आप समय बचाते हैं बल्कि अपनी टैक्सी को भी बेवजह अधिक चलने से बचाते हैं।

सिद्धांत मात्रे

सह संस्थापक, रोडर


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