लिक्विड फंड: पाइए सेविंग्स एकाउंट से ज्यादा रिटर्न, एक दिन के लिए भी कर सकते है निवेश
छोटी अवधि में बेहतरीन रिटर्न के लिए अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो लिक्विड फंड आपके लिए एक उम्दा निवेश विकल्प है
नई दिल्ली। छोटी अवधि में बेहतरीन रिटर्न के लिए अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो लिक्विड फंड आपके लिए एक उम्दा निवेश विकल्प है। लिक्विड फंड में निवेश जोखिम रहित होता है। साथ ही कोई लॉक इन पीरियड भी नहीं होता है। लिक्विड फंड में रिटर्न की दर घटती-बढ़ती रहती है। लिक्विड फंड में कोई भी व्यक्ति 1 हफ्ते से 1 साल तक किसी भी अवधि के लिए निवेश कर सकता है। हर महीने अपनी सैलरी का बचा हिस्सा भी आप लिक्विड फंड में निवेश कर अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
जानिए लिक्विड फंड से जुड़े अहम सवालों के जवाब
क्या होते हैं लिक्विड फंड्स?
कम समय के लिए निवेश करने वाले फंड लिक्विड फंड होते हैं। इन्हें मनी मार्केट फंड भी कहा जाता है। इनमें एक दिन से लेकर कुछ हफ्तों के लिए भी निवेश किया जा सकता है। इन फंड्स में किसी भी तरह का कोई एक्जिट लोड नहीं लिया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि म्युचुअल फंड कंपनियां निवेशकों के स्कीम से जुड़ते या अलग होते समय शुल्क लगाती हैं। इस फीस को लोड कहा जाता है। एक्जिट लोड वह शुल्क होता है जो निवेशक के स्कीम को छोड़ते या अलग होते समय लिया जाता है।
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक लिक्विड स्कीम में 8 फीसदी तक का रिटर्न मिलता है जबकि सेविंग्स एकाउंट में केवल 4 फीसदी का रिटर्न मिलता है। जब महंगाई बढ़ती है तो आरबीआई ब्याज दरें बढ़ा देती हैं और लिक्विड स्कीम इस दौरान अधिक रिटर्न देती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें आप एक दिन के लिए भी निवेश कर सकते हैं। लिक्विड फंड में सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें अपने लिक्विड फंड को बेचने की रिक्वेस्ट करने के 24 घंटों के भीतर पैसा सीधा बैंक एकाउंट में ट्रांस्फर हो जाता है। यदि आप अपनी लिक्विड स्कीम को बेचने की रिक्वेस्ट सोमवार से शुक्रवार दोपहर 2 बजे से पहले कभी भी करते हैं तो अगले दिन सुबह 10 बजे से पहले आपके एकाउंट में पैसे भेज दिए जाते हैं।
क्यों करना चाहिए लिक्विड फंड्स में निवेश?
लिक्विड फंड्स में निवेश करना ज्यादा बेहतर तरीका माना जाने लगा है। इसमें बेहद कम राशि लगाएं और अपनी छोटी अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक वर्ष के बाद इसमें से पैसा निकाला जा सकता है। अंतर समझने के लिए इस एक वर्ष में मिले रिटर्न की तुलना बैंक एफडी रेट से करके देखें। सेविंग्स एकाउंट में आपकी सैलरी पर 4 फीसदी की दर से रिटर्न मिलता है वहीं दूसरी ओर लिक्विड फंड में 8 फीसदी तक का रिटर्न मिल जाता है।
इसमें मिलती है जोखिम से मुक्ति
इस स्कीम में ब्लू कलर कोडिंग होती है जिसका मतलब यह होता है कि इनमें कम जोखिम होता है। सामान्य तौर पर म्युचुअल फंड कंपनियां लिक्विड फंड के एवज में मिली रकम को शॉर्ट टर्म की सरकारी बॉन्ड, ट्रेजरी बिल और कॉल मनी मार्केट जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश कर देती हैं। आपको बता दें कि कॉरपोरेट ग्रुप, बैंक और अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन भी अपनी सरप्लस रकम को लिक्विड फंड में निवेश करते हैं। इससे कहा जा सकता है कि इस योजना में किसी भी तरह का जोखिम नहीं है। जरूरी नहीं है कि म्युचुअल फंड में निवेश करने पर निश्चित रिटर्न ही मिले। बीते पांच वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि लिक्विड फंड की एसआईपी ने 8 से 10 फीसदी तक का सालाना औसत रिटर्न दिया है। वहीं दूसरी ओर पोस्ट आफिस व बैंकों में आरडी पर सालाना 8.3 से 8.5 फीसदी तक का रिटर्न मिल रहा है।
बीते 10 वर्षों में सबसे ज्यादा डेट म्युचुअल फंड में हुआ निवेश
डेट म्युचुअल फंड योजनाओं में कंपनियों का निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में लिक्विड फंड्स में कुल निवेश 40,302 करोड़ रुपए रहा, जो बीते 10 वर्षों में सबसे अधिक है।
क्या है निवेश की प्रक्रिया?
यदि आप म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश कर रहे हैं तो फंड डिस्ट्रीब्यूटर आपका केवाईसी (नो योर कस्टमर) तैयार करेगा। इसके बाद पहले महीने की किश्त के लिए एक चेक, ईसीएस के लिए आटो डेबिट फॉर्म और एक कामन फॉर्म भरवाएगा। साथ ही आपके लिक्विड फंड में एसआईपी शुरू हो जाएगी। इसके बाद हर महीने आपके बैंक खाते से तय तारीख पर निश्चित राशि कटती रहेगी। यह योजना बैंक या पोस्ट आफिस की आरडी के तरह ही काम करती है। इस योजना में महज 1000 रुपए से निवेश की शुरुआत की जी सकती है। निवेश के लिए अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है। यह निवेश ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यम से किया जा सकता है। इस योजना के तहत एक से अधिक एसआईपी भी शुरू करवाई जा सकती है।