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तो नोटबंदी के बाद इसलिए देर से आया था 500 का नया नोट

नोटबंदी की घोषणा के वक्त तक आरबीआई के पास 500 रुपए का एक भी नोट नहीं था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 09:19 PM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 09:19 PM (IST)
तो नोटबंदी के बाद इसलिए देर से आया था 500 का नया नोट
तो नोटबंदी के बाद इसलिए देर से आया था 500 का नया नोट

नई दिल्ली (जेएनएन)। बीते साल 8 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद आरबीआई की ओर से बाजार में 2000 रुपए का नोट उतारा गया था। लेकिन 500 रुपए का नोट लोगों तक पहुंचाने में काफी देर की गई जिसके कारण उस वक्त काफी सारे लोगों को परेशान होने पड़ा था। इस मुद्दे से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी इसका खुलासा किया है।

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नोटबंदी वाले दिन आरबीआई के पास नहीं था 500 रुपए का एक भी नोट: जानकारी के मुताबिक जिस दिन नोटबंदी की घोषणा की गई थी, आरबीआई के पास 2,000 रुपये के नए नोटों का 4.95 लाख करोड़ का स्टॉक था लेकिन 500 रुपये का एक भी नोट केंद्रीय बैंक के पास नहीं था। इस नोट के बारे में काफी बाद में सोचा गया।

भारत सरकार के पास चार प्रिंटिंग प्रेस:

जानकारी के लिए आपको बता दें कि फिलहाल देश में नोट छापने के चार प्रिंटिंग प्रेस हैं। इनमें आरबीआई के दो प्रेस हैं, जो मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में हैं। इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड के दो प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो नासिक (महाराष्ट्र) और देवास (मध्य प्रदेश) में हैं। भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। इसकी स्थापना साल 2006 में नोट छापने, सिक्कों की ढलाई करने तथा गैर-न्यायिक स्टैंप के मुद्रण के लिए की गई थी।

आरबीआई के आदेश के पहले ही शुरू हो गई नोटों की छपाई:

भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड हमेशा आरबीआई की ओर से दिए गए ऑर्डर पर ही नोटों की छपाई करती है। लेकिन इस बार इसने आरबीआई के आधिकारिक आर्डर के बिना ही नोटों की छपाई शुरू कर दी। 500 रुपये के नोट की डिजाइन नोटबंदी से पहले केवल आरबीआई के मैसूर प्रेस के पास थी।

आरबीआई के आधिकारिक आर्डर के बिना नवंबर के दूसरे हफ्ते में भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड देवास प्रेस में और नवंबर के चौथे हफ्ते में नासिक प्रेस में इसकी छपाई शुरू हो गई। हालांकि, इसकी छपाई आरबीआई के प्रेस में पहले से की जा रही थी, लेकिन वह नोटबंदी के कारण बढ़ी मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था।


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