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नोटबंदी से पर्यटन से जुड़े कारोबारी बेहाल, पर्यटकों की संख्या में भारी कमी

नोटबंदी ने दूसरे छोटे व्यापारियों के साथ-साथ ऐतिहासिक इमारतों के आसपास कारोबार करने वाले उद्यमियों की भी दुश्वारियां बढ़ा दी हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 01:50 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 01:52 PM (IST)

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी ने दूसरे छोटे व्यापारियों के साथ-साथ ऐतिहासिक इमारतों के आसपास कारोबार करने वाले उद्यमियों की भी दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। इन ऐतिहासिक स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में बेहद कमी होने के चलते गिफ्ट आइटम, टूरिस्ट कार्ड और सोवेनियर बेचने वालों का धंधा बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

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बीते आठ नवंबर के बाद आगरा के ताजमहल से लेकर हरियाणा के कुरुक्षेत्र, कोलकाता, दिल्ली समेत देश भर की तमाम ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से कमी आई है। यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या तो घटी ही है, नकदी के संकट से जूझ रहे घरेलू पर्यटकों की संख्या भी कम हुई है। चूंकि ऐसे अधिकांश पर्यटक स्थलों पर क्रेडिट व डेबिट कार्ड से टिकट लेने की सुविधा नहीं है और पुराने नोट भी स्वीकार नहीं किए जा रहे, इसलिए पर्यटकों के समूहों के दौरे रद हो गए।

कई जगहों पर तो पर्यटकों खासतौर पर घरेलू पर्यटकों की संख्या सीजन होने के बावजूद 50 फीसद कम हो गई। इसका सीधा असर इन पर्यटक स्थलों से लगे बाजारों पर पड़ा है। विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ इन कारोबारियों का धंधा काफी हद तक घरेलू पर्यटकों पर भी टिका हुआ है। आगरा के ताजमहल के पास सोवेनियर बेचने वाले राकेश कुमार का कहना है कि जो पर्यटक आ भी रहे हैं वे नकदी की कमी के चलते कम कीमत का सामान भी खरीदने से बच रहे हैं। लगभग यही स्थिति कुरुक्षेत्र में पवित्र कुंड के साथ लगे बाजार में खाने-पीने की दुकान चलाने वाले आशीष की है।

पर्यटकों की संख्या में कमी की वजह से कमजोर हुए धंधे ने इन कारोबारियों की अपनी अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर दिया है। चूंकि वर्षो से ये लोग इन ऐतिहासिक इमारतों को देखने आने वाले पर्यटकों पर ही आजीविका के लिए निर्भर रहे हैं, इसलिए इनके पास आय के अन्य स्नोत भी नहीं है। लिहाजा इन लोगों को सीमित आय में ही अपनी अर्थव्यवस्था को चलाना पड़ रहा है। हालांकि गिफ्ट आइटम बेचने वाले कुछ कारोबारी शहरों के सामान्य पटरी बाजारों में भी इसकी संभावनाएं तलाशने लगे हैं ताकि रोजमर्रा की आमदनी के स्तर को बनाये रखा जा सके।


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