साल 2013 से 2016 तक 1.37 लाख करोड़ की टैक्स चोरी का पता लगा, रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने दी जानकारी
रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से जानकारी दी गई है कि बीते तीन वर्षों के भीतर करीब 1.37 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी हुई है
नई दिल्ली। साल 2013 से 2016 तक की अवधि को दौरान कर चोरों ने करीब 1.37 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी की है। यह जानकारी राजस्व विभाग (रेवेन्यू डिपार्टमेंट) की ओर से दी गई है। जानकारी के मुताबिक यह कर चोरी अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष (डायरेक्ट एवं इनडायरेक्ट) दोनों में ही की गई है।
शेल कंपनियों की भी हुई पहचान:
इस पूरी जांच प्रक्रिया के दौरान विभाग ने करीब 1,000 से ज्यादा शेल कंपनियों की भी पहचान की है, जो 13,300 करोड़ रुपये के बोगस ट्रांजैक्शन में शामिल रहीं हैं। टैक्स चोरी करने वालों को चेतावनी देते हुए रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने कहा है कि आगे आने वाले दिनों में काले धन के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विभाग ने बताया कि 245 बेनामी लेनदेन की पहचान की गई है। नवंबर 2016 से लागू हुए बेनामी लेनदेन रोकथाम कानून के तहत 124 मामलों में 55 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां कुर्क की गई हैं। विभाग ने कुल 23,064 छापेमारी की है, जिसमें से 17,525 आयकर विभाग ने और बाकी कस्टम, एक्साइज और सेवाकर विभाग ने की हैं।
वित्त वर्ष 2013-14 से 2015-16 के दौरान 1.37 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी का पता लगाया गया है। इसमें 69,434 करोड़ रुपये आयकर, 11,405 करोड़ रुपये कस्टम, 13,952 करोड़ रुपये सेंट्रल एक्साइज और 42,727 करोड़ रुपये सेवा चोरी के हैं। इसके अलावा 2,814 मामलों में आपराधिक मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें से 1,966 आयकर के मामले हैं। कुल 3,893 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
141.13 करोड़ रुपये मूल्य के नए नोट जब्त हुए
आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य एजेंसियों ने देशभर से 141.13 करोड़ रुपये मूल्य के 2000 और 500 रुपये के नए नोट जब्त किए हैं। इनमें से 110 करोड़ रुपये के नए नोट आयकर विभाग ने, 4.54 करोड़ रुपये के नोट ईडी, 26.21 करोड़ रुपये के नोट सीबीआई ने और 38 लाख रुपये के नोट डीआरआई ने जब्त किए हैं।
जब्त नोटों को राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा किया गया
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोक सभा में कहा है कि ईडी की ओर से जब्त किए गए सभी नए 2000 और 500 रुपये के नए नोटों को एसबीआई या अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा कराया गया है, ताकि वे दोबारा परिचालन में आ सकें।
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