अमेरिका में कठोर H1B वीजा नियमों का सीधा असर नॉन आईटी-वर्कर पर पड़ेगा
गैर आईटी कर्मचारी अमेरिकी-कांग्रेस की ओर से एक प्रस्तावित एक बिल से ऐसे लोग पर उतना ही असर पड़ेगा जितना की आईटी क्षेत्र के कर्मचारियों पर पड़ा है।
नई दिल्ली। आईटी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के अलावा उन कुशल श्रमिकों का पूरा ग्रुप जो रिसर्च एनालिस्ट से लेकर वित्तीय सलाहकार, वेब डेवलपर, टीचर, आर्टिस्ट, मेडिकोज़ और पैरामेडिक्स से जुड़ा है उनका अब अमेरिका जाने का सपना अधूरा रह सकता है। यह कामगरों का वह तबका है जिनमें से कुछ फीसदी 60,000 से लेकर 100,000 डॉलर तक का मेहनताना उठाता है, लेकिन अमेरिकी-कांग्रेस की ओर से एक प्रस्तावित एक बिल से ऐसे लोग पर उतना ही असर पड़ेगा जितना की आईटी क्षेत्र के कर्मचारियों पर पड़ा है।
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से बीते सप्ताह दोबारा से पेश किए गए एक बिल के बाद अब कुशल रोजगार (स्किल एम्प्लॉयमेंट) फिर से सुर्खियों में आ गया है। इस बिल ने H1B वीजा के लिए प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा दिया है। इस बिल ने एक बें्क स्थापित किया है कि 60,000 डॉलर से लेकर 100,000 डॉलर तक कमाने वाले अमेरिका में काम करने योग्य होंगे। यह बिल मास्टर डिग्री होने की मौजूदा बाध्यता को खत्म करने की वकालत करता है। आई-टी इंडस्ट्री के साथ एच-1बी वीजा के संबंधों के विपरीत उद्योग का कहना है कि यहां पर नॉन आईटी कर्मचारियों के लिए भी काफी कुछ है, जो कि इस कदम की वजह से प्रभावित होने वाले हैं।
अनू अटॉर्नी लॉ फर्म के इमीग्रेशन लॉयर अनू पेशवारी ने बताया, “मुझसे काफी सारे मेंटेसरी और हाईस्कूल के शिक्षकों ने पूछा है कि इस पर कितना कैप लगाया जा सकता है। आईटी पेशेवर आसानी से इस सीमा को पूरा कर सकते हैं, लेकिन टीचर और लेक्चरर काफी कम कीमत अदा करनी होगी। अमेरिकी शिक्षा प्रणाली अन्य देशों के शिक्षकों पर काफी हद तक निर्भर करता है।”