छोटे कारोबारी किस तरह करें जीएसटी की तैयारी
एक्सपर्ट के नजरिए से समझे कि कैसे एसएमई नई टैक्स व्यवस्था में परिवर्तन करने के लिए तैयार रहे
नई दिल्ली (अर्चित गुप्ता)। एसएमई सेक्टर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए 8000 से ज्यादा उत्पादों का उत्पादन करता है। जीएसटी इस सेक्टर के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित होगा। जीएसटी लंबे समय में इस अर्थव्यवस्था में कई दीर्घकालिक बदलाव लाएगा जैसे की घटी हुई कीमतें और संचालन की लागत। अभी महत्वपूर्ण प्रश्न ये है की क्या एसएमई नई टैक्स व्यवस्था में परिवर्तन करने के लिए तैयार हैं।
सिर्फ 50 फीसदी ही जीएसटी समझने में सक्षम
विशेषज्ञों के मुताबिक इस क्षेत्र में लगभग 50 फीसदी जीएसटी के नियमों का पालन करने के लिए तकनीकी तौर पर सक्षम हैं। इस क्षेत्र के लिए कर्मचारी भी एक बड़ी चिंता का विषय है। कई व्यापारों के साथ विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओ से समय से भुगतान और इनवॉयस को सुनिश्चित करने के लिए अलग से कर्मचारी नहीं हैं। इन चुनौतियों का सामाना इस नई टैक्स व्यवस्था के लागू होने पर इस क्षेत्र को करना पड़ेगा। अगर आप इन सुझावों पर अमल करेंगे तो आपको जीएसटी के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।
इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना ठीक से करें
इनपुट टैक्स क्रेडिट से संबंधित कानूनों को समझना एसएमई के लिए महत्वपूर्ण है। जीएएसटी मार्केटिंग के खर्च, परिवहन खर्च जैसे व्यापार बढ़ाने के लिए व्यय किए गए खर्चों पर आईटीसी का दावा करने अनुमति देता है। एसएमई कई प्रकार के खर्च पर आईटीसी का दावा कर सकते हैं। इससे उनका संचालन खर्च घटता है और उनका लाभ बढ़ाता है।
इनवॉयस और लेन-देन की जानकारी सुरक्षित रखें
इनपुट टैक्स क्रेडिट पर तब ही दावा किया जा सकता है जब विक्रेता और खरीदार के इनवॉयस एक समान हों। इसके अलावा आपूर्तिकता को समय पर रिटर्न फाइल करने और टैक्स का भुगतान करने के बाद ही आप आईटीसी का दावा कर पाएंगे। इसलिए पूरी सप्लाई चेन को इनवॉयस आर रिकॉर्ड मैंटेनेंस को लेकर काफी अनुशासित होना होगा। जीएसटी लागून होने पर व्यापारों को लेन देन की सभी जानकारियों को पूरा करना होगा जैसे कि ग्राहकों के लिए बनाए गए सभी इनवॉयस को अब आपूर्तिकर्ता से प्राप्त इनवॉयस से मिलाया जाएगा। इनके मिलने पर ही आईटीसी दावा वैध माना जाएगा। इससे प्राधिकरणों को अवैध आईटीसी दावों का पता लगाने में मदद मिलेगी। इसका अर्थ यह भी है कि एसएमइ को आईटीसी दावों के तकनीकी पहलुओं से खुद को परिचित करना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि वो जिन आपूर्तिकर्ताओं के साथ व्यापार कर रहे हैं वो विश्वसनीय है।
सॉफ्टवेयर का चुनाव समझदारी से करें
आप जीएसटीएन पोर्टल पर सीधे टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं लेकिन अगर आप उन फॉर्म से जिन्हें आपको भरने की जरूरत हैं औ इसके तकनीकी पहलुओं से परिचित नहीं हैं तो एक अनुपालन सॉफ्टवेयर खरीद सकते हैं। इससे आपको आसानी से रिटर्न फाइल करने में मदद मिलेगी। सॉफ्टवेयर आपको रिटर्न फाइल करते समय और महत्वपूर्ण डेटा अपलोड करते समय गलतियां करने से रोक सकता है। हर व्यापारी को साल में कम से कम 37 रिटर्न फाइल करने होंगे। अगर आप कुछ गलती करते हैं तो ये महंगी पड़ सकती है।
अगर आप छोटे कारोबारी हैं तो सबसे पहले अपने आपको व्यवस्थित करें। डिजीटल तरीके से काम करना सीखें। भविष्य में ये बहुत काम आएगा। अगर आपके पास ज्यादा कर्मचारी हैं तो कुछ को ट्रेनिंग की व्यवस्था भी करें। इससे आप अपने व्यापार को बेहतर तरीके से कर पाएंगे। अगर आप ठीक से जीएसटी के नियमों का पालन करने में सफल हो गए तो टैक्स दक्षता के कारण आपको लागत में 2 से 4 फीसदी का लाभ मिल सकता है। इसलिए अब किसी का इंतजार न करें और तैयारी शुरू कर दें।
नकदी की दिक्कत को दूर कर आईटीसी मिलना कई कारणों पर निर्भर करता है। सप्लाई चेन को नई व्यवस्था में समायोजित करते हुए और नई स्थिति को सेटर करते हुए एसएमई अंतरिम में कुछ नकद की दिक्कतों का सामना कर सकते हैं। नकद में तंग व्यापारों को अपने उधार को बढ़ाना पड़ सकता है लेकिन एसएमएई पहले से ही इसके लिए तैयार होकर और इस स्थानांतरण चरण के दौरान अपने व्यापार को संगत रखने के उपाय अपनाकर इससे पूरी तरह से बचे सकते हैं।
मैनुअल बुक कीपिंग से दूर रहें
जीएसटी का लक्ष्य भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजीटल करना है। जीएसटीएन पोर्टल इनवॉस अपलोड करने और जीएसटी संबंधित अन्य मुद्दों के लिए एकमात्र ऑनलाइन स्रोत होगा। हम यह देख चुके हैं कि आईटीसी के दावों के लिए इनवॉयस मिलान करना कितना महत्वपूर्ण है और जब आप ऑनलाइन पोर्टल में मैनुअल डेटा भेजते हैं तो आसानी से गलतियां हो सकती हैं। इसकी जगह वर्चुअल रिकॉर्ड और खातों का प्रयोग करना बेहतर हैं ताकि किसी महंगी गलती के बिना डाटा को आसानी से स्थनांतरित किया जा सके। मतलब आप कंप्यूटर और लैपटॉप का उपयोग करेंगे तो ज्यादा फायदे में रहेंगे। कुछ एसएमएई को अपने उस स्टाफ को प्रशिक्षण देने में निवेश करना पड़ सकता है जो अब तक मैनुअल बुक कीपिंग और अकाउंटिंग करते आए हैं।
यह जवाब क्लियर टैक्स डॉट कॉम के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता के लेख पर आधारति है।