SEBI काले धन का दुरुपयोग रोकने के लिए पी-नोट पर लगाएगा 1,000 डॉलर का शुल्क
SEBI ने पार्टिसिपेटरी नोट पर करीब 6,400 रुपये का शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड सेबी ने विदेशी निवेशकों को जारी किए जाने वाले हर पी-नोट (पार्टिसिपेटरी नोट) पर 1,000 डॉलर (करीब 6,400 रुपये) का शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। इस रेगुलेटरी फीस के अलावा इन डेरिवेटिव आधारित पी-नोट्स को सट्टे वाले उद्देश्यों के लिए जारी करने पर रोक लगाएगा। बाजार नियामक सेबी के इस कदम का मकसद काले धन का इन उत्पादों में दुरुपयोग रोकना है। नियामक के ये प्रस्तावित उपाय ऐसे समय में किये जा रहे हैं, जब पहले ही पी-नोट्स या ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआइ) से निवेश चार माह के निचले स्तर पर आ गया है।
क्या होते हैं पी नोट्स
पी-नोट्स को पार्टिसिपेट्री नोट्स भी कहा जाता है। विदेशी निवेशक सीधे तौर पर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने में सक्षम नहीं होते हैं इसलिए वह रजिस्टर्ड विदेशी ब्रोक्रेज हाउस का सहारा लेता है। निवेशकों को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड विदेशी ब्रोक्रेज हाउस ही जारी करता है। पी-नोट्स को विदेशी निवेशकों के लिए शेयर बाजार में निवेश करने का दस्तावेज भी कहा जाता है।
क्या है पी नोट्स का फायदा
पी-नोट्स का इस्तेमाल हाई नेटवर्क इंडीविजुअल्स (एचएनआई), हेज फंडों और अन्य विदेशी संस्थाेनों के जरिए होता है। जो भी निवेशक सेबी के पास बिना रजिस्ट्रेशन करवाए शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहता हैं वो पी-नोट्स का इस्तेमाल करता है। निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार में पी-नोट्स के जरिए निवेश करने में ज्यादा सुविधा और फायदा जान पड़ता है। गौरतलब है कि सेबी ने साल 1992 में पी-नोट्स जारी करने की इजाजत दी थी।