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सेबी ने दिया रियल एस्टेट को सहारा, लिए कई अहम फैसले

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजार को सहारा देने और भुगतान में चूक करने वालों से निपटने के लिए कई अहम फैसले किए हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 15 Jan 2017 12:55 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2017 12:58 PM (IST)
सेबी ने दिया रियल एस्टेट को सहारा, लिए कई अहम फैसले
सेबी ने दिया रियल एस्टेट को सहारा, लिए कई अहम फैसले

जयपुर: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजार को सहारा देने और भुगतान में चूक करने वालों से निपटने के लिए कई अहम फैसले किए हैं। शनिवार को सेबी के निदेशक बोर्ड की यहां हुई बैठक में कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें आरईआइटीएस व इनविट्स में म्यूचुअल फंडों के निवेश की अनुमति से लेकर म्युनिसिपल बांडों से जुड़े नियमों में ढील शामिल हैं। ब्रोकर फीस में कटौती करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी गई है।

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नकदी की कमी से जूझ रहे रियल्टी सेक्टर को सहारा देने के लिए म्यूचुअल फंडों को रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआइटीएस) और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (इनविट्स) में निवेश को अनुमति दी गई है। नए नियमों के तहत आरईआइटीएस व इनविट्स को वैकल्पिक प्रतिभूतियों की श्रेणी में रखा गया है। फंड इन दोनों में अपने एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) का पांच फीसद निवेश कर सकते हैं। वहीं, फंड मल्टिपल स्कीम में अपने एनएवी का 10 फीसद निवेश कर सकेंगे। इस कदम से रियल्टी सेक्टर को फंड जुटाने के नए मौके मिलेंगे।

सेबी ने ब्रोकर फीस में 25 फीसद तक की कटौती की है। इससे ब्रोकर फीस 20 रुपये प्रति करोड़ के टर्नओवर से घटकर 15 रुपये हो गई है। बाजार में सभी को डिजिटल भुगतान करने के लिए भी मंजूरी दी गई है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड के लिए विज्ञापन संहिता घोषित की गई है। इसके मुताबिक फंड पहले से मंजूरी लेकर सेलिब्रिटी के जरिये प्रचार कर सकते हैं। म्युनिसिपल बांड के लिए नियमों में भी राहत दी गई है। अब ऐसे नगर निकाय जो तीन वषों से सरप्लस आमदनी दर्ज कर रहे हों, नए बांड इश्यू जारी कर सकते हैं।

भुगतान में चूक करने वाली फर्मो से निपटने के नियमों में बदलाव किया गया है। इसके जरिये ऐसे मामलों में कार्रवाई से पहले स्वयं निपटान के लिए आगे आने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। अगर उन्होंने निपटान की अर्जी लगाने में अधिक देरी की तो उनसे ब्याज के रूप में यादा वसूली की जाएगी। निपटान की खारिज या वापस ली गई अर्जियों की जगह नया आवेदन करने की भी छूट दी जाएगी। ऐसे मामलों में आवेदक को अतिरिक्त शुल्क और ब्याज चुकाना होगा। इस बदलाव का मकसद निपटान की प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट और मजबूत बनाना है।


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