सेबी ने जारी किए जिंस वायदा अनुबंध के नियम
सेबी ने शुक्रवार को जिंस वायदा बाजार को विस्तार देने के लिए नए दिशानिर्देश जारी कर दिए।
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जिसों में वायदा सौदों के संबंध में विस्तृत रूपरेखा लेकर सामने आया है। नियामक ने शुक्रवार को जिंस वायदा बाजार को विस्तार देने के लिए नए दिशानिर्देश जारी कर दिए। ये नियम पहली अप्रैल, 2017 से प्रभावी होंगे। सेबी जिंस वायदा बाजार का भी नियामक है।
बाजार नियामक ने सभी भागीदारों के साथ सलाह-मशविरे और जिंस वायदा सलाहकार समिति (सीडीएसी) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट के विकास और प्रभावी नियमन से संबंधित मामलों में सेबी को सलाह देने के लिए सीडीएसी का गठन किया गया था।
नियम की खास बातें: सेबी ने कहा है कि जिस जिंस में कोई कमोडिटी एक्सचेंज डेरिवेटिव कांट्रेक्ट शुरू करना चाहता है, उसे बाजार में सौदों की मात्र, एकरूपता और उसके टिकाऊपन जैसे मानकों को पूरा करना होगा। कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट में कारोबार के लिए उपलब्ध होने वाले जिंसों में सौदों के मामले में पूरी तरलता होनी चाहिए। जिंस को भंडारण करने लायक होना चाहिए, ताकि उसकी बेहतर कीमत मिल सके।
इसके अलावा वही जिंस कारोबार में लगातार बना रह सकता है, जिसमें सभी राष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों में मिलाकर तीन में से कम से कम एक वित्त वर्ष के दौरान 500 करोड़ रुपये से यादा की ट्रेडिंग हो। तीन वर्ष की अवधि की गणना कमोडिटी में वायदा शुरू होने की तारीख से की जाएगी। जिन जिंसों में एक्सचेंजों में पहले से ही कारोबार हो रहा है, उन्हें भी नए मानकों को पूरा करना होगा। एक्सचेंजों को नए मानकों के आधार पर होने वाले कारोबार के नतीजों की जानकारी तीन महीने के भीतर सेबी को देनी होगी।
सौदे के लिए सही जिंस: सेबी ने वायदा कारोबार के लिए उपयुक्त जिंस को निर्धारित करने के लिए भी मानक बनाए हैं। इन मानकों के तहत कीमतों में काफी अधिक उतार-चढ़ाव, मौसम के लिहाज से संवेदनशीलता और विश्व बाजार से अत्यधिक जुड़ाव शामिल हैं।