सेविंग डिपॉजिट रेट में कटौती से लेंडिग रेट भी कम होने के आसार: रिपोर्ट
एसबीआई ने बीती 31 जुलाई को 1 करोड़ से कम की जमा दरों पर 0.50 फीसद की कटौती की है
नई दिल्ली (जेएनएन)। बीते पखवाड़ों में तीन बड़े बैंकों की ओर से सेविंग डिपाजिट रेट (जमा दरों) में की गई कटौती लेंडिग रेट में भी कमी की संभावना को तेज करती है और साथ ही इससे उधारदाताओं (बैंकों) के बीच प्रतिस्पर्धा में इजाफा हुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक और सबसे बड़े कर्जदाता एसबीआई ने बीती 31 जुलाई को 1 करोड़ से कम की जमा दरों पर 0.50 फीसद की कटौती कर इसे 3.5 फीसद कर दिया था, हालांकि उसने 1 करोड़ से ऊपर की जमा दरों के लिए दर को यथावत रखा है। एसबीआई का अनुसरण करते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा और एक्सिस बैंक ने भी पिछले हफ्ते 50 लाख रुपए तक के जमा पर दरों में संशोधन कर कटौती की है।
इंडिया रेटिंग के मुताबिक, जब से संपत्ति की गुणवत्ता और कम क्रेडिट मांग पर निरंतर दबाव के कारण बैंकों का मुनाफा कमजोर हुआ है। इसलिए कमजोर खिलाड़ियों (जो बैंक पूंजी से वंचित हैं) के मुकाबले ज्यादा बाजार हिस्सेदारी हासिल करना इन नकद-समृद्ध उधारदाताओं (बड़े बैंकों के लिए) के लिए अनिवार्य होगा।
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया, “ब्याज दर चक्र निम्नतम स्तर तक पहुंचने के साथ ही मौजूदा देनदारियों के कम होने से दरों में और कमी आ सकती है। कुछ बड़े बैंकों की ओर से बीते कुछ हफ्तों में अपनी जमा दरों में कटौती करना उसी दिशा में एक प्रयास है।” निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास अधिक गुंजाइश है कि वो बचत दर में कटौती करने के लिए एमसीएलआर दरों में भी कटौती करें क्योंकि उनके पास एक बड़ा आधार और कुछ भरोसेमंद सेविंग अकाउंट्स हैं।