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एनपीए हालात नहीं सुधरते देख आरबीआइ की निगरानी में रहेंगे चार बैंक

आरबीआइ के राडार पर सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंक हैं क्योंकि इनकी वित्तीय हालत 31 मार्च तक सुधरने के आसार कम हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 09:53 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 09:56 AM (IST)
एनपीए हालात नहीं सुधरते देख आरबीआइ की निगरानी में रहेंगे चार बैंक
एनपीए हालात नहीं सुधरते देख आरबीआइ की निगरानी में रहेंगे चार बैंक

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बढ़ते फंसे कर्ज यानी एनपीए की हालत नहीं सुधरते देख रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने चार बैंकों को अपनी निगरानी में रख लिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों की सूची में आइडीबीआइ, इंडियन ओवरसीज बैंक (आइओबी) और यूको बैंक शामिल हैं। इस सूची के चौथे बैंक का नाम अभी पता नहीं चल पाया है। आरबीआइ ने इन बैंकों को जोखिम वाली संपत्तियों से दूर रहने की हिदायत दी है, ताकि उनकी वित्तीय हालत और खराब नहीं हो।

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सूत्रों के मुताबिक ये बैंक आरबीआइ के राडार पर हैं, क्योंकि इनकी वित्तीय हालत 31 मार्च तक सुधरने के आसार कम हैं। केंद्रीय बैंक की एसेट क्वॉलिटी समीक्षा (एक्यूआर) की अवधि समाप्त होने जा रही है। वित्त मंत्रलय और आरबीआइ दोनों ने इन बैंकों से वित्तीय स्थिति सुधारने, पूंजी लगाने के विकल्प तलाशने और संपत्तियां बेचने का टिकाऊ मॉडल तैयार करने को कहा है। रिजर्व बैंक ने दिसंबर, 2015 से एसेट क्वॉलिटी समीक्षा को अमल में लाते हुए बैंकों को अपने चुनींदा सबसे बड़े डिफॉल्ट खातों को एनपीए के रूप में चिह्नित करने का निर्देश दिया था। इसके चलते इन बैंकों की एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स को दिसंबर तिमाही में फंसे कर्ज के रूप में चिह्नित किया गया। सालाना आधार पर आइओबी का ग्रॉस एनपीए दिंसबर के आखिर तक 52 फीसद बढ़कर 34,502.13 करोड़ रुपये हो गया। आइडीबीआइ का सकल एनपीए 80 फीसद उछलकर 35,245 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। तीसरी तिमाही के दौरान यूको बैंक का ग्रॉस एनपीए 49 फीसद बढ़कर 2,181 करोड़ रुपये हो गया। सरकार ने हाल ही में आइडीबीआइ के सीईओ किशोर कांत को इंडियन बैंक में भेज दिया था। इंडियन बैंक के सीईओ एमके जैन को आइडीबीआइ भेजा गया है।

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एनपीए के खात्मे को मिलें और अधिकार
देश में निगरानी कमेटियों और वाइंट लेंडर फोरम (जेएलएफ) जैसे फंसे कर्ज के मौजूदा समाधान तंत्रों को सशक्त बनाया जाए। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने इसके लिए इन तंत्रों को और अधिकार दिए जाने की जरूरत बताई है। मूंदड़ा मौजूदा तंत्र के कारगर नहीं होने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।


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