शेयर बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीद या गिरावट का खतरा? पढ़िए मन में आने वाले हर सवाल का जवाब
सेंसेक्स और निफ्टी अपने सर्वोच्य स्तर के करीब कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में बाजार की वैल्युएशन को लेकर तमाम सवाल निवेशकों के मन में हैं।
नई दिल्ली। (शुभम शंखधर)। “गिरते बाजार में भी ऊंची वैल्युएशन वाली कंपनियां होती हैं और रिकॉर्ड तेजी में भी आकर्षक वैल्युएशन वाले स्टॉक्स बाजार में मौजूद होते हैं” द कैपिटल सिंडीकेट के मैनेजिंग पार्टनर और फंडामेंटल एनालिस्ट सुब्रामण्यम पिसुपति की यह टिप्पणी शेयर बाजार में जारी तेजी के बीच वैल्युएशन पर उठने वाले सवालों का सीधा जवाब है।
Jagran.com के साथ खास बातचीत में सुब्रामण्यम पिसुपति ने कहा कि शेयर बाजार में जारी तेजी का एक मात्र कारण लिक्विडिटी ही नहीं बल्कि मौजूदा स्तर पर भी तमाम कंपनियां वैल्युएशन के हिसाब से बेहतरीन है। इसके अलावा रुपए में मजबूती, म्युचुअल फंड में रिकॉर्ड खुदरा निवेश जैसे कारक भी बाजार को मौजूदा स्तर से भी ऊपर ले जाने का माद्दा रखते हैं।
घरेलू निवेश से बाजार को मिलती मजबूती
पिसुपति के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता लेकिन अब FIIs की खरीदारी के मुकाबले बाजार में घरेलू निवेशक की भी हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। इसका ताजा उदाहरण नोटबंदी के बाद नबंवर और दिसंबर में देखने को मिलता है। दोनों ही महीनों में विदेशी निवेशकों की ओर से 26000 करोड़ रुपए की बिकवाली की गई। जबकि घरेलू निवेशकों ने इन्ही दो महीनों में करीब 23000 करोड़ की खरीदारी की है। विदेशी निवेशकों की ओर से इतनी बड़ी बिकवाली के बाद भी बाजार में कोई क्रैश जैसी स्थिति नहीं बनी। बाजार में तेजी का एक बड़ा कारण अब घरेलू और विदेशी दोनों ही मोर्चों पर हो रही खरीदारी है जिससे बाजार में पर्याप्त लिक्विडिटी है।
निजी निवेश आना अर्थव्यवस्था में टर्नअराउंड का संकेत
पिसुपति के मुताबिक बीते 15 दिनों में जिस तरह एलएंडटी जैसे शेयर ने रैली में हिस्सा लिया है यह इस बात का संकेत है कि निजी कंपनियों की ओर से भी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) की शुरुआत है। जो अर्थव्यवस्था में निचले स्तर से रिकवरी (टर्नअराउंड) का एक संकेत है। पिसुपति ने कहा कि अर्थव्यवस्था में कैपेक्स आने की उम्मीद पर ही बाजार में चाल दिख रही है। साथ ही रिलायंस की तेजी का जिक्र करते हुए उनहोने कहा कि कंनपी के शेयर अब तक आई तेजी महज शुरुआत है टेलिकॉम, रिटेल और ऑयल एंड गैस सभी क्षेत्रों में रिलायंस से आगे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, जिसका असर शेयर भाव में भी दिखेगा। ऐसे में रिलायंस की तेजी से बाजार को फायदा मिलेगा।
रुपये की मजबूती को न कीजिए नजरअंदाज
डॉलर के मुकाबले रुपया 21 महीने की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है। जो एक ओर घरेलू अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का संकेत है वहीं दूसरी ओर रुपये में रिटर्न मिलने वाले विदेशी निवेशकों के लिए भी यह अच्छी बात है। पिसुपति के मुताबिक भारत अभी भी दुनिया के तमाम बाजारों में एक अच्छे डेस्टीनेशन की तरह है। साथ ही रुपये की मजबूती महंगाई को काबू रखने में असरकारक है जो ब्याज दरों में कटौती के रास्ते को सशक्त करती है।
बाजार में अभी वैल्युएशन कहां?
पिसुपति ने बताया कि जनवरी के महीने में जब निफ्टी 8100 के करीब कारोबार कर रहा था तब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 250 रुपये के करीब कारोबार कर रहा था आज जब निफ्टी 9300 पर है जब स्टेट बैंक का शेयर 275 रुपये के करीब है। शेयर और इंडेक्स की चाल का अंतर इस बात का संकेत है कि अभी भी अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों में वैल्युएशन बाकी है। पिसुपति के मुताबिक सरकार और आरबीआई दोनों ही जिस तरह डूबे हुए कर्ज पर सख्ती के मूड में दिख रहे हैं यह दिखाता है कि आने वाले दिनों में बैंकिंग शेयरों में अच्छी चाल देखने को मिल सकती है। इसके अलावा घेरलू उपभोग से जुड़ी इंडस्ट्री जैसे सीमेंट, स्टील, ऑयल एंड गैस आदि में भी मजबूत फंडामेंटल वाले स्टॉक्स मौजूदा स्तर पर भी लंबी अवधि के लिहाज से अच्छे निवेश साबित हो सकते हैं।
बाजार की गिरावट तेज लेकिन छोटी होगी
पिसुपति के मुताबिक बाजार में एक करेक्शन की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता। बाजार में गिरावट का खतरा हमेशा ही बना रहता है। 9300 से 9500 के बीच निफ्टी में एक बार गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन यह गिरावट कुछ दिन की होगी जो तेज होगी। बाजार की गिरावट में जिन शेयरों में बिकवाली का बड़ा खतरा है उनमें निजी बैंक, एफएमसीजी, आईटी और फार्मा सेक्टर प्रमुख होंगे। ऐसे में निवेशकों को इन शेयरों में मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए।
मौजूदा स्तर पर क्यों वैल्युएशन का सवाल?
एक्सकॉर्ट सिक्योरिटीज के हेड (रिसर्च) आसिफ इकबाल के मुताबिक प्रमुख सूचकांक निफ्टी इस समय 23 से ज्यादा के पी-ई मल्टीपल पर ट्रेड कर रहा है। ऐसे में बाजार में यह धारणा बन रही है कि मौजूदा स्तर हो रही खरीदारी वैल्युएशन वाली नहीं है जो आगे जाकर बाजार में बबल का कारण बन सकती है। आसिफ ने बताया कि इससे पहले भी बाजार में जब भारी गिरावट आई है वह 25 और 26 के मल्टीपल पर ट्रेड कर रहे निफ्टी के स्तर पर ही आई है। सामान्यत: 17 से 18 तक के पी-ई मल्टीपल होने वाली खरीदारी को वैल्युबाइंग माना जाता है। पी-ई मल्टीपल का मतलब होता है कि निफ्टी में शुमार कपंनियों की ग्रोथ वित्त वर्ष के दौरान कितनी रहेगी। भारतीय बाजार से औसतन 15 फीसद के रिटर्न का अनुमान लगाया जाता है।
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