क्या भारत में लीगल है ऑनलाइन पोकर? गेमिंग इंडस्ट्री में पारंपरिक कैसिनो की पेशकश कर रही हैं वेबसाइट्स
ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में जुए की ऑनलाइन मार्केट में एंट्री के बाद गेमिंग इंडस्ट्री का दायरा और बढ़ने की संभावना है।
नई दिल्ली: ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया ने हाल ही के दिनों में डिजिटल स्पेस में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। खेलो365 और अदा52 जैसी वेबसाइट्स अब पारंपरिक कैसिनो की ही तरह मेजबानी पेश कर रही हैं। हालांकि ये वेबसाइट्स खिलाड़ियों को सुनिश्चित करती हैं कि यह 100 फीसद लीगल है और वे सुरक्षित हैं।
केपीएमजी की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत की गेमिंग इंडस्ट्री का दायरा अनुमानित रूप से 60 अरब डॉलर का हो गया है और जुए की ऑनलाइन मार्केट में एंट्री के बाद इसके और बढ़ने की संभावना है। संविधान के अंतर्गत, सट्टेबाजी और जुआ, सातवीं अनुसूची में दूसरी सूची की 34वीं प्रविष्टि के अंतर्गत राज्य का विषय हैं। नतीजतन, भारत में जुआ खेलने के नियमन में भारी अंतर है।
हालांकि, गेमिंग पर रोक लगाने वाला एक केंद्रीय कानून अभी भी मौजूद है-सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867। संविधान निर्माण की शुरुआत से पहले कालोनियल दौर का यह कानून अस्तित्व में था। इसके बाद कई राज्यों ने इसे ज्यों का त्यों अपनाया और कुछ राज्यों ने खुद का कानून बनाया।
अधिकांश राज्य कानून और केंद्रीय क़ानूनों के अंतर्गत, जुए के रुप में वर्गीकृत होने के कारण कौशल के खेल (गेम ऑफ स्किल) को बाहर कर दिया। फिर भी 'कौशल का खेल' को इन कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया। इसने तब तक एक भ्रम की स्थिति रखी जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश राज्य बनाम के सत्यनारायण (1968) से जुड़े मामले में रमी को कौशल आधारित खेल करार नहीं दिया था। अभी तक किसी भी गेम को इस तरह से न्यायिक मंजूरी नहीं मिली थी। फिर भी इस फैसले ने काफी सारे स्टेक होल्डर्स को अन्य खेलों की वैधता पर अपना तर्क प्रस्तुत करने की अनुमति दी है।