अब आपकी बैंक पासबुक में होंगी पहले से ज्यादा डिटेल, जानें 10 बड़ी बातें
रिजर्व बैंक ने बैंकों को ग्राहकों की पासबुक और स्टेटमेंट में ट्रांजैक्शन का पर्याप्त ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को पासबुक और स्टेटमेंट में ट्रांजैक्शन का पर्याप्त ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं। ग्राहकों को लेनदेन के विवरण को दोबारा जांचने में सहूलियत हो, इसके लिए केंद्रीय बैंक ने ऐसा किया है। इससे पहले, आरबीआइ ने बैंकों को सलाह दी थी कि वे पासबुक/स्टेटमेंट में समझ से परे एंट्री करने से बचें। साथ ही सुनिश्चित करें कि हमेशा संक्षिप्त व सुगम जानकारियां दर्ज की जाएं ताकि जमाकर्ताओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो।
आरबीआइ ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि कई बैंक अब भी पर्याप्त विवरण प्रदान नहीं कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने बैंकों को मुहैया कराए जाने वाले विवरणों की सूची निर्धारित की है। पासबुक में बैंकों को जो विवरण देने हैं, उनमें पेयी का नाम, ट्रांजैक्शन का मोड, शुल्क की प्रकृति (जैसे फीस/कमीशन/फाइन/पेनाल्टी) और लोन अकाउंट नंबर शामिल हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार, बेहतर ग्राहक सेवा के हित में यह निर्णय लिया गया है कि बैंक खातों में एंट्री के संबंध में प्रासंगिक विवरण प्रदान करेंगे। आम तौर पर ग्राहकों को पासबुक का विवरण समझने और उनकी पुष्टि करने में दिक्कत होती है। कई बार बैंकों से सही जानकारी भी नहीं मिल पाती है।
जानें इससे जुड़ी 10 अहम बातें:
- ग्राहकों की पासबुक के अगले हिस्से में कवरेज की सीमा के साथ बैंकों को 'जमा बीमा कवर' के बारे में जानकारी देनी होगी। भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं सहित सभी वाणिज्यिक बैंकों का जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) की ओर से बीमा किया जाता है। बैंक की विफलता की स्थिति में डीआईसीजीसी बैंक जमा को सुरक्षित करती है। किसी भी बैंक में प्रत्येक जमाकर्ता को उसके खाते में जमा राशि पर अधिकतम 1 लाख रुपए तक बीमा किया जाता है, यह आपके मूलधन और उसपर मिले ब्याज दोनों को मिलाकर होता है।
- आरबीआई की ओर से 22 जून को जारी किए गए सर्कुलर में बैंकों की ओर से पासबुक में शामिल किए जाने वाले लेनदेन के विवरण का उल्लेख है। इन डिटेल में दाता का नाम, मोड- ट्रांसफर, क्लियरिंग, इंटर-ब्रांच, आरटीजीएस/ एनईएफटी, कैश, चेक (नंबर), अगर भुगतान क्लियरिंग/अंतर-शाखा लेनदेन/आरटीजीएस/ एनईएफटी के माध्यम से किया जाता है तो हस्तांतरण बैंक का नाम।
- बैंक चार्जेज: नेचर ऑफ चार्ज- फी/कमीशन/फाइन/पेनल्टी इत्यादि, चार्ज किए जाने का कारण, संक्षिप्त में जैसे कि रिटर्न ऑफ चेक (नंबर), कमीशन/ ड्रॉफ्ट इश्यू किए जाने की फी/ रेमिटेंस (ड्राफ्ट नंबर), चेक कलेक्शन चार्ज (नंबर), चेक बुक जारी करना,एसएमएस अलर्ट, एटीएम फीस, अतिरिक्त कैश विदड्राल, इत्यादि।
- रिवर्सल ऑफ रॉन्ग क्रेडिट: मूल क्रेडिट प्रविष्टि की तिथि उलट जाने की स्थिति में और संक्षिप्त में रिवर्सल (उलट जाने का) का कारण।
- लोन की किश्तों और लोन पर ब्याज की वसूली: लोन अकाउंट नंबर, लोन अकाउंट नंबर का नाम।
- सावधि जमा / आवर्ती जमा का निर्माण: सावधि जमा / आवर्ती जमा खाता / रसीद संख्या, सावधि जमा / आवर्ती जमा खाताधारक का नाम।
- पीओएस (बिक्री के बिंदु) पर लेनदेन: लेनदेन तिथि, समय और पहचान संख्या, पीओएस का स्थान।
- नकदी जमा (कैश डिपॉजिट): बताएं कि यह एक "नकद जमा" है, जमाकर्ता का नाम-स्वयं/ थर्ड पार्टी (अन्य व्यक्ति)।
- थर्ड पार्टी से रसीद: भेजने और ट्रांसफर करने वाले का नाम, मोड-ट्रांसफर, इंटर ब्रांच, RTGS/ NEFT, नकद इत्यादि। अगर भुगतान इंटर ब्रांच ट्रांजैक्शन, RTGS/ NEFT के माध्यम से होता है तो हस्तांतरण करने वाले बैंक का नाम।
- जमा पर ब्याज: अगर बचत खाते/फिक्स्ड डिपॉज़िट पर ब्याज का भुगतान किया गया है तो इसका उल्लेख करें। अगर फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज का भुगतान होता है तो संबंधित फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट/ रसीद नंबर का उल्लेख करें।