RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, नीतिगत ब्याज दरें बदलने की संभावना कम
बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दो दिवसीय मौद्रिक नीति समिति बैठक शुरू हो गई है।
नई दिल्ली। उर्जित पटेल की अध्यक्षता में बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दो दिवसीय मौद्रिक नीति समिति बैठक शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों को जस का तस रख सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव है।
विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका में ब्याज दर में वृद्धि से यह संकेत साफ है कि आरबीआई की मानक ब्याज दर में कोई कमी नहीं होने जा रही है। वहीं, दूसरी ओर भविष्य में इसमें वृद्धि हो सकती है, जो घरेलू एवं बाह्य कारकों (एक्सटरनल) पर निर्भर करता है। हालांकि, उनका यह भी मानना है कि आरबीआई देश में नोटबंदी लागू होने के मद्देनजर बैंकों के पास आई भारी मात्रा में नकदी को सोखने के लिए स्थाई जमा सुविधा (एसडीएफ) समेत कुछ उपाय कर सकता है। कई अलग-अलग अनुमानों के तहत बैंकों में विमुद्रीकरण के बाद 14 लाख करोड़ रुपये आए हैं।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरूआ का कहना है कि आरबीआई आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को यथावत रख सकता है। यह छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की चौथी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। मौद्रिक नीति समिति में सरकार की ओर से नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं।
वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल ए आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य हैं। कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को बरकरार रख सकती है।