बैंकों की ओर से मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाला चार्ज तर्कसंगत होना चाहिए
सरकार ने कहा बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर चार्ज वसूलने का फैसला ठीक है, मगर यह तर्कसंगत होनी चाहिए
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंकों की ओर से चार्ज वसूलने का फैसला ठीक है, लेकिन यह तर्कसंगत भी होना चाहिए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशा निर्देशों के अनुसार बैंकों को मिनिमम बैलेंस संबंधी किसी भी बदलाव के बारे में ग्राहकों को एक महीने पहले बताना होगा। वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
मौजूदा समय में काफी सारे बैंक एक महीने में खाते में मिनिमम बैंलेंस न रखने पर और एक निर्धारित सीमा से ज्यादा नकदी जमा या निकासी और निर्धारित लेन देन की संख्या के बाद शुल्क लगाते हैं। मिनिमम बैलेंस के संबंध में गंगवार ने बतया कि बैंक खाते में मौजूद मिनिमम बैलेंस के आधार पर पैनल चार्ज लगा सकते हैं, जैसा कि खाता खुलवाने के दौरान शर्त (मिनिमम बैलेंस) रखी गई थी।
आरबीआई की गाइडलान्स बताते हुए गंगवार ने कहा, “शुल्क की भरपाई के लिए बैंक एक स्लैब स्ट्रक्चर तय कर सकते हैं। बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पैनल चार्ज तर्कसंगत हैं और उपलब्ध कराई जा रही सेवा की औसत लागत के विपरीत नहीं है।”
एक अन्य सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि बैंक निर्धारित सीमा के बाद नकद निकासी और जमा के बाद सर्विस चार्ज ले सकते हैं।