शेल कंपनियों से बचना चाहते हैं तो इन 3 बातों का हमेशा रखें ध्यान
आप थोड़ी सी समझदारी दिखाकर शेल कंपनियों के चक्कर से बच सकते हैं
नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। सेबी ने शेल कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए बीते सोमवार को 331 कंपनियों की सूची जारी की है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने हाल ही में जानकारी दी है कि इनमें से सिर्फ 48 कंपनियां ही लिस्टेड हैं। काले धन पर रोकथाम लगाने के उदेश्य से सेबी ने कहा है कि इन कंपनियों में इस महीने ट्रेडिंग नहीं की जाएगी।
हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि अगर आप शेल कंपनियों के झासे में आने से बचना चाहते हैं तो आप क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। हमने इस बारे में टैक्स एक्सपर्ट और eSachiv. com के सीईओ मयंक वशिष्ठ से बात की है जिन्होंने इस विषय पर हमें विस्तार से बताया। जानिए उन्होंने क्या जानकारी दी...
क्या करें निवेशक: अगर आप किसी कंपनी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए बेहतर यही रहेगा कि आप कंपनी का पोर्टफोलियो अच्छे से चैक करें। आप चैक करें कि कंपनी कितने समय से काम कर रही है, कंपनी के प्रमोटर्स कौन कौन हैं और कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है। अगर कंपनी का प्रमोटर कोई जाना पहचाना चेहरा होता है तो कंपनी की ओर से धोखाधड़ी करने या उसके शेल कंपनी होने की संभावना कम रहती है।
क्या करें कर्मचारी: अगर आप किसी कंपनी में ज्वाइन करने के बारे में सोच रहे हैं और इस बात को लेकर फिक्रमंद हैं कि कहीं कंपनी शेल कंपनी न निकल जाए, तो आपको कंपनी के बारे में तमाम जानकारियां जुटानी चाहिए। मसलन कंपनी के प्रमोटर्स कौन है, कंपनी में कितने लोग काम कर रहे हैं, उन्हें सैलरी समय पर मिलती है या नहीं, कंपनी के बारे में लोगों की राय कैसी है इत्यादि।
क्या करें कंज्यूमर: उदाहरण के तौर पर समझिए। आपने सुना या खुद अनुभव किया होगा कि कुछ कंपनियां लोगों को फोन करके सदस्यता लेने को कहती है। ऐसी कंपनियां रोड साइड असिस्टेंट देने का वादा कर आपको सदस्यता लेने को उकसाती हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि ऐसी कंपनियां काफी सारे लोगों से सदस्यता का पैसा लेकर चंपत हो जाती हैं। ऐसे में आपके लिए यही मुनासिब होगा कि ऐसी फोन कॉल्स आने के बाद आप उनसे थोड़ा वक्त मांगे और कंपनी के बारे में सारी जांच पड़ताल करने के बाद ही उसकी सदस्यता लें।
क्या होती है शेल कंपनियां: शेल कंपनियां कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं। इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। इन कंपनियों के संचालन की बात की जाए तो इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता, इनमें केवल कागजों पर एंट्रीज दर्ज की जाती हैं। हालांकि, कंपनीज एक्ट में शेल कंपनी शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।