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अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक ने बढ़ाई भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी की चिंता

भारतीय इंजीनियरों के लिए दुनियाभर में नौकरियों के लेकर जारी चिंताएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 05:51 PM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 05:51 PM (IST)
अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक ने बढ़ाई भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी की चिंता
अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक ने बढ़ाई भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी की चिंता

नई दिल्ली: दुनियाभर में भारतीय इंजीनियरों की नौकरियों को लेकर चिंताओं में तेजी से इजाफा हो रहा है। इन चिंताओं का दायरा अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक बढ़ चुका है। जहां एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से वीजा नियमों में लेकर बदलाव के संकेतों ने भारतीय पेशेवरों को असमंजस में डाल दिया है वहीं आकंड़ों के मुताबिक खाड़ी देशों में बीते साल के मुकाबले इस साल नौकरियों में 33 फीसद की कमी आई है। विदेश से भारत भेजी जाने वाली रकम में भी बीते दो सालों के दौरान कमी देखने को मिली है।

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खाड़ी देशों में कम हुईं नौकरियां:  साल 2016 के आंकड़ों पर गौर करें तो छह खाड़ी देशों में भारतीयों की नौकरी में 33 फीसद तक की गिरावट आ गई है। जबकि 90 फीसद प्रवासी भारतीय इन्हीं देशों में नौकरी के लिए जाते हैं। सऊदी में साल 2016 के दौरान 1.65 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं जबकि साल 2015 के दौरान 3.06 लाख लोगों को नौकरियां मिली थीं।

अमेरिका की स्थिति: ट्रंप की आव्रजन नीति ने भारतीय पेशेवरों की चिंताओं को बढ़ाया है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 37,000 कम आवेदन सामने आए हैं। अमेरिका में नौकरी करने वाले 10,000 भारतीयों ने इसके लिए आवेदन किया। हालांकि एच1बी वीजा को लेकर भारतीयों की चिंताओं के बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिका के समक्ष अपना मुद्दा रखा है।

ब्रिटेन की स्थिति: 60 फीसद कौशल वर्कर वीजाधारी भारतीयों को वेतन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय इंजीनियरों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले वीजा की कॉस्ट को बढ़ाया गया है।

ऑस्ट्रेलिया की स्थिति: इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया ने ‘457 वीजा’ कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। आईटी इंडस्ट्री ने इसे चौकाने वाला फैसला बताया है। जानकारी के मुताबिक 95,000 विदेशी पेशेवरों को 2016-17 में इसके तहत नौकरी मिली थी। स्थानीय नौकरियों की सुरक्षा के लिए या व्यावसायिक प्रवास को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया ऐसा तीसरा देश है जिसने बीते दो महीनों के भीतर अपने वीजा प्रोग्राम में सुधार सा संशोधन किया है।

सिंगापुर की स्थिति: सिंगापुर में भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। सिंगापुर में बीते साल से ही वर्क परमिट के लिए आए करीब 200 आवेदनों को होल्ड पर रखा गया है।

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