रेमिटेंस पाने वालों में भारत शीर्ष पर कायम
देश के बाहर रहने वाले लोगों ने अपने घर (भारत) में बेशक कम रकम भेजी, लेकिन इसके बावजूद रेमिटेंस हासिल करने वाले देशों में भारत ने शीर्ष स्थान बनाए रखा है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। बीते साल देश से बाहर रहने वाले भारतीयों ने अपने घर वालों को 8.9 फीसद कम रकम भेजी। इसकी वजह से भारत में रेमिटेंस के रूप में पहुंचने वाली यह राशि 62.7 अरब डॉलर (करीब 4,05,167 करोड़ रुपये) रह गई। इसके बावजूद भारत ने रेमिटेंस हासिल करने वाले देशों में अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है। वर्ष 2015 में भारत को 68.9 अरब डॉलर (लगभग 4,45,231 करोड़ रुपये) का रेमिटेंस मिला था।
विश्व बैंक की ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ नामक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में विकासशील देशों के लिए धन के इस प्रेषण में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट आई है। दक्षिण एशियाई देशों के लिए आगे भी इसमें सुस्ती बनी रहने की उम्मीद है। इससे पहले तीन दशकों तक ऐसा रुझान देखने को नहीं मिला था।
विश्व बैंक ने इस रिपोर्ट में बैंक का आकलन है कि विकासशील देशों को वर्ष 2016 में सरकारी तौर पर दर्ज रेमिटेंस का आंकड़ा 2.4 फीसद घटकर 429 अरब डॉलर रह गया। साल 2015 में परदेसियों की ओर से अपने देश के लिए यह धन प्रेषण 440 अरब डॉलर था। जहां तक ग्लोबल रेमिटेंस का सवाल है, तो इसका आंकड़ा भी वर्ष 2015 के 582 अरब डॉलर के मुकाबले 1.2 फीसद सिकुड़कर 575 अरब डॉलर पर आ गया।
अगर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले रेमिटेंस की हिस्सेदारी के लिहाज से देखा जाए, तो इस मामले में किर्गिस्तान सबसे ऊपर रहा। इसके बाद नेपाल, लाइबेरिया, हैती और टोंगा का नंबर आता है। नेपाल की जीडीपी में रेमिटेंस का 29.7 फीसद योगदान है। श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद का 8.8, पाकिस्तान का 6.9 और बांग्लादेश का छह फीसद हिस्सा परदेसियों के इस प्रेषण से आता है। जहां तक भारत का सवाल है, तो उसकी जीडीपी में रेमिटेंस की महज 2.9 फीसद हिस्सेदारी है। इस लिहाज से भारतीय राज्यों में केरल सबसे ऊपर है। केरल के शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (एसडीपी) में रेमिटेंस का हिस्सा 36.3 फीसद है।