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2018 में भारत की विकास दर के 7.2 फीसद तक पहुंचने का अनुमान: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

IMF ने वित्त वर्ष 2018 में भारत की विकास दर के 7.2 फीसद तक पहुंचने का अनुमान लगाया है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 22 Apr 2017 03:23 PM (IST)Updated: Sat, 22 Apr 2017 03:23 PM (IST)
2018 में भारत की विकास दर के 7.2 फीसद तक पहुंचने का अनुमान: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

नई दिल्ली (पीटीआई)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि नोटबंदी के बाद, वित्त वर्ष 2018 में भारत की विकास दर के 7.2 फीसद तक पहुंचने का अनुमान है और अगले साल यह 7.7 फीसद रह सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एशिया एवं प्रशांत विभाग के निदेशक चांगयॉन्ग रे ने बताया कि भारत में, मुद्रा विनिमय पहल के साथ नकदी की कमी के कारण जो अस्थायी अवरोध (मुख्य रूप से निजी उपभोग के लिए) 2017 उत्पन्न हुआ उसके धीरे-धीरे समाप्त होने की उम्मीद है।

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उन्होंने बताया, “वित्त वर्ष 2017-18 के लिए ग्रोथ अनुमान बदलकर 7.2 फीसद होने की उम्मीद है और अगले साल भारत की ग्रोथ रेट 7.7 फीसद रह सकती है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत एशिया और दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दिखी हाल की वृद्धि गति विशेष रूप से मजबूत है, जो कि चीन और जापान में निरंतर नीति सहायता को दर्शाती है।
इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ में हुआ अच्छा-खासा इजाफा, टैक्स दायरा बढ़ाने में मिलेगी मदद
अगर हाल के ही कुछ वर्षों की बात करें तो देश की इकोनॉमिक ग्रोथ में अच्छी खासी बढ़त देखने को मिली है। इस इजाफे के कारण ही भारत सरकार को अपना टैक्स दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के शीर्ष अधिकारी ने दी है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के राजकोषीय मामलों से जुड़े विभाग के निदेशक विटोर गासपेर ने बताया कि इंडिया की इकोनॉमी ने हाल ही के कुछ वर्षों में अच्छी बढ़त हासिल की है,इसने बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ईंधन सब्सिडी खत्म करने और सामाजिक लाभ लक्षित होने से केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 3.5 फीसद रखने का लक्ष्य हासिल कर सकती है।

गासपेर ने कहा, “हम बुनियादी ढांचा निवेश के संरक्षण एवं टैक्सष को व्यापक बनाने के प्रयास के साथ व्यय को युक्तिसंगत बनाने और राजकोषीय संरचनात्मक उपायों के संदर्भ में भारत सरकार के साथ गठजोड़ करते आए हैं। इस संदर्भ में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, जिससे देश में वास्तविक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी।”

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