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आपके पास है फ्रिज, एसी या कार, तो नहीं मिलेगा सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ

चार कमरे वाले घर, चार पहिया वाहन, एयरकंडीशनर को शहरी इलाकों में सामाजिक लाभ के पात्र होने के दायरे से बाहर रखा जाएगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 07 Aug 2017 04:04 PM (IST)Updated: Mon, 07 Aug 2017 04:04 PM (IST)
आपके पास है फ्रिज, एसी या कार, तो नहीं मिलेगा सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ

नई दिल्ली (जेएनएन)। यदि आपके पास फ्रिज, एसी या कार है, तो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आपको नहीं मिलेगा। शहरी क्षेत्रों में हर 10 में से छह घरों में यह पहचानने के लिए मूल्यांकन किया जाएगा कि वे सरकार की सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के हकदार हैं या नहीं। सरकारी पैनल की सिफारिश में यह बात कही गई है।

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इसके तहत चार कमरे वाले घर, चार पहिया वाहन, एयरकंडीशनर को शहरी इलाकों में सामाजिक लाभ के पात्र होने के दायरे से बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा जिन लोगों के पास रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन और दो पहिया वाहन हैं, उन्हें भी इस योजना से बाहर रखा गया है। सामाजिक आर्थिक सर्वे को लागू करने के लिए बनाई गई बिबेक देबरॉय कमेटी ने यह सिफारिश की है।

रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आवासीय, व्यावसायिक और सामाजिक अभाव के लिए तय पैमानों के आधार पर लाभार्थियों की सूची में स्वतः ही कौन शामिल होगा। इस योजना में वे लोग शामिल होंगे, जो बेघर हैं या जिनकी छत पॉलिथीन की बनी है या घर में कोई भी वयस्क पुरुष कमाने वाला नहीं है या घर का खर्च कोई बच्चा उठा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, बाकी परिवारों को यह पता लगाने के लिए मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या उन्हें लाभार्थियों की सूची में शामिल किया जा सकता है या नहीं। एक आधिकारी ने कहा कि परिवारों का मूल्यांकन शून्य से 12 के पैमाने पर सूचकांक स्कोर के आधार पर किया जाएगा। ये पैमाने आवासीय, सामाजिक और व्यावसायिक अभाव होंगे। इससे पहले एसआर हाशिम समिति ने दिसंबर 2012 में शहरी गरीबों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था।

हाशिम पैनल की सिफारिश के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 41 फीसद परिवारों को मूल्यांकन के लिए शामिल किया जा सकता था, ताकि यह पता हो कि क्या वे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने योग्य हैं या नहीं। मगर, देवरॉय पैनल की सिफारिशों में 59 फीसद परिवार इस मूल्यांकन के लिए योग्य होंगे। पैनल ने कहा है कि बीपीएल या गरीबी रेखा के ऊपर परिवारों की वर्गीकृत करना मिथ्या होगा।


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