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GST प्रावधान की मदद से टैक्सपेयर खुद डिजायन कर पाएंगे अपना इनवॉयस

सीबीईसी ने जीएसटी इनवॉयस को लेकर भ्रम की स्थितियों को दूर करने की कोशिश की है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 15 Jun 2017 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jun 2017 06:24 PM (IST)
GST प्रावधान की मदद से टैक्सपेयर खुद डिजायन कर पाएंगे अपना इनवॉयस

नई दिल्ली (जेएनएन)। वस्तु एवं सेवा कर को 1 जुलाई से लागू करने को लेकर सरकार की ओर से तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं, लेकिन व्यापारियों के बीच इनवॉयस को लेकर अब भी बड़े स्तर पर भ्रम की स्थिति बरकरार है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने जीएसटी प्रावधानों पर प्रकाश डालने वाली एक सूची जारी की है जो इन सभी भ्रमों को दूर करती है।

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राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाले सीबीईसी ने कहा, “जीएसटी इनवॉयस फॉर्मेट को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां हैं, कि यह एक बोझिल प्रक्रिया होगी, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इनवॉयस से जुड़े कुछ अहम प्रावधानों को हाइलाइट किया गया है जो कि स्टेक होल्डर्स के हित में हैं।”

ये हाइलाइट निम्नलिखित हैं....

  • जीएसटी करदाताओं को उनके इनवॉइस के प्रारूप को डिज़ाइन करने की स्वतंत्रता होगी।
  • जीएसटी कानून, हालांकि जिसका उल्लेख कुछ श्रेणियों में है वो इनवॉयस में भी होना चाहिए।
  • इनवॉयस जारी करने की समयावधि अलग अलग वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए अलग अलग होगी। गुड्स के मामले में यह वस्तु के वितरण से पहले किसी भी समय हो सकता है। वहीं सेवा के मामले में यह सेवा की आपूर्ति के 30 दिनों के भीतर इसे जारी किया जा सकता है।
  • छोटे करदाता जो कि गैरपंजीकृत ग्राहकों (उपभोक्ताओं) को 200 रुपए तक का ट्रांजेक्शन करते हैं को उन्हें इस तरह के हर ट्रांजैक्शन जारी करने के लिए इनवॉयस की जरूरत नहीं होगी। वो एक कंसॉलिडेटेड इनवॉयस तैयार कर सकते हैं, जिसमें दिन के आखिर में किए गए कुल (सभी) ट्रांजेक्शन की डिटेल जानकारी देनी होती होगी। हालांकि उन्हें उस वक्त इनवॉयस उपलब्ध करवा देना चाहिए जब उनका कस्टमर इसकी मांग करे।
  • जीएसटीएन पोर्टल टैक्सपेयर को इनवॉयस रेफरेंस नंबर उपलब्ध करवाता है। अगर उसने यह नंबर जनरेट कर लिया है, तो उसके गुड्स (सामानों) के परिवहन के दौरान इनवॉइस की पेपर प्रति के साथ होने की आवश्यकता नहीं होगी, जैसा कि मौजूदा नियमों में जरूरी है। यह प्रणाली माल परिवहन के दौरान इनवॉयस पेपर खोने जैसी शिकायतों के निपटारे में काफी मददगार होगा।
  • जीएसटी कानून यह अनिवार्य करता है कि 1.5 करोड़ रूपए तक के वार्षिक कारोबार के साथ करदाता अपने इनवॉयस में माल के एचएसएन कोड का उल्लेख करें। यह छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन का बोझ कम करने के लिए किया गया है।
  • जैसा कि बैंकिंग, इंश्योरेंस और पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हर रोज बड़े पैमाने पर ट्रांजेक्शन किए जाते हैं, ऐसे में करदाताओं के लिए कस्टमर का एड्रेस इनवॉयस का सीरियल नंबर बताना जरूरी नहीं होगा।
  • उन मामलों में जहां माल वितरण के लिए पहुंचाया गया है, लेकिन रिमूवल के समय आपूर्ति की जाने वाली मात्रा की कोई जानकारी नहीं है, डिलीवरी चालान का इस्तेमाल कर उन वस्तुओं को हटा दिया जाएगा और डिलीवरी के बाद इनवॉयस का इस्तेमाल कर लिया जाएगा।
  • गैर-कर योग्य आपूर्ति के लिए वैट चालान जारी किए जाने के बाद कानून के तहत करदाता को आपूर्ति के लिए एक अलग से बिल जारी करने की जरुरत नहीं होगी।
  • वस्तु एवं सेवा कर को आजाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा है, जिसके आने के बाद करदाताओं कोक कई स्तर पर टैक्स का भुगतान करने से छूट मिल जाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी के अंतर्गत चार दरें 5,10,12 और 28 फीसद तय की हैं।

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