फसल वर्ष 2016-17 में चावल, गेहूं और दलहन की हुई बंपर पैदावार, छुआ रिकॉर्ड स्तर
खाद्यान्न में धान की पैदावार 11 करोड़ टन से अधिक हुई है, जो पिछले फसल वर्ष के 10.44 करोड़ टन से अधिक है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अच्छे मानसून व नीतिगत तैयारियों के चलते बीते फसल वर्ष में खाद्यान्न की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार हुई है। गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दलहन की फसलों में अब तक का सर्वाधिक उत्पादन हुआ है। कुल पैदावार 27.56 करोड़ टन हुई है जो पिछले रिकॉर्ड उत्पादन के मुकाबले चार फीसद अधिक है। दलहन की पैदावार में होने वाली वृद्धि से सरकार और उपभोक्ताओं को भारी राहत मिली है।
फसल वर्ष 2016-17 बीते जून माह में समाप्त हो गया है। कृषि मंत्रालय की ओर से फसलों की पैदावार का यह आंकड़ा चौथे अनुमान के आधार पर बुधवार को जारी किया गया है। इसके पहले वाले फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) के दौरान खराब मौसम की वजह से पैदावार घटकर 25.15 करोड़ टन रह गई थी। बीते वर्ष के उत्पादन के ताजा अनुमान का आंकड़ा पिछले अनुमान के विपरीत 23 लाख टन ज्यादा है।
खाद्यान्न में धान की पैदावार 11 करोड़ टन से अधिक हुई है, जो पिछले फसल वर्ष के 10.44 करोड़ टन से अधिक है। गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 9.83 करोड़ टन पहुंच गई है, जो पिछले साल के 9.22 करोड़ टन से अधिक है। मोटे अनाज की पैदावार 4.41 करोड़ टन हुई है, जबकि पिछले फसल वर्ष में यह 3.85 करोड़ टन थी। मोटे अनाज में मक्के की रिकॉर्ड पैदावार 2.62 करोड़ टन हुई है।
दलहन फसलों की रिकॉर्ड पैदावार को देखते हुए सरकार की चिंताएं खत्म हो सकती हैं। आयात निर्भरता घटेगी और उपभोक्ताओं को राहत भी मिलेगी। दालों की कुल पैदावार 2.30 करोड़ टन होने का पक्का अनुमान है। जबकि इसके पहले वाले साल में यह पैदावार केवल 1.63 करोड़ टन पर अटक गई थी। दलहन की कुल पैदावार में अरहर की 48 लाख और उड़द की 18 लाख टन की हिस्सेदारी है।
तिलहन की कमी को पूरा करने के प्रयास भी किये गये थे, जिसके चलते तिलहन फसलों की कुल पैदावार 3.21 करोड़ टन हुई है, जबकि पिछले साल यह 2.52 करोड़ टन थी। नकदी फसलों का बुवाई रकबा कम होने के बावजूद उत्पादकता में सुधार की वजह से पैदावार बहुत प्रभावित नहीं हो सका है। कपास की पैदावार 3.3 करोड़ गांठ (170 किग्रा) हुई है। जबकि पिछले फसल साल 2015-16 में यह तीन करोड़ गांठ पर सिमट गई थी। गन्ने की पैदावार कम हुई है। इसमें लगभग 12 फीसद की कमी का अनुमान है। गन्ने की पैदावार 30 करोड़ टन हुई है। जबकि पिछले साल यह 34.84 करोड़ टन था।