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रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया में तेजी के लिए सरकार ने तैयार की एक वैकल्पिक व्यवस्था

सरकारी उपक्रमों की बिक्री से जुड़ी प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक विशेष समित बनाई गई है जिसमें अरुण जेटली और नितिन गडकरी स्थायी सदस्य होंगे

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 10:52 AM (IST)
रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया में तेजी के लिए सरकार ने तैयार की एक वैकल्पिक व्यवस्था
रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया में तेजी के लिए सरकार ने तैयार की एक वैकल्पिक व्यवस्था

नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्र ने विभिन्न सरकारी उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था तैयार की है। सरकार की तरफ से चयनित उपक्रमों की बिक्री से जुड़ी प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक विशेष समित बनाई गई है जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क यातायात व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी स्थायी सदस्य होंगे जबकि तीसरा सदस्य उपक्रम के प्रशासनिक मंत्रालय का मंत्री होगा। यह समिति रणनीतिक बिक्री की शर्तो से लेकर उसकी कीमत पर अंतिम फैसला करेगी। बिक्री से जुड़े अन्य मुद्दों पर सहयोग करने के लिए सचिवों का अलग से एक समूह बनाया गया है। यह समूह हालात में बदलाव के मुताबिक मौजूदा विनिवेश नीति को बदलने का भी काम करेगा।

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सरकार की तरफ से तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक विनिवेश की गति बहुत खास नहीं रही है। नीति आयोग के स्तर पर जिन उपक्रमों का विनिवेश करना है, उनके नाम तय करने के लिए एक समिति है जबकि एक अंतर मंत्रलयी समिति भी है। लेकिन सरकार का जोर अब रणनीतिक बिक्री पर है। नीति आयोग की तरफ से एयर इंडिया, बीईएमएल समेत कुछ कंपनियों के नाम सुझाये गये थे जिन पर काम शुरू हो चुका है। जानकारों का कहना है कि कैबिनेट में बुधवार को किये गये फैसले का तत्काल असर एयर इंडिया में जारी निवेश प्रक्रिया पर होगा। नीति आयोग ने केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले सारे होटलों का रणनीतिक विनिवेश करने की अनुशंसा की है।

भारत-स्वीडन में आइपीआर पर समझौते को मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) के मामले में सहयोग के लिए एक समझौते को मंजूरी दे दी। इससे उद्योग और निवेशकों को फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस समझौते को अनुमति दी गई। इससे भारत को इनोवेशन और बौद्धिक संपदा के तंत्र का अनुभव मिलेगा। सरकारी बयान के अनुसार इस समझौते से विस्तृत दायरे की लचीली व्यवस्था तैयार होगी जिसके जरिये दोनों देश अच्छी पद्धतियों का आपस में आदान-प्रदान कर सकेंगे। ट्रेनिंग प्रोग्राम और तकनीकी विकास पर भी मिलकर काम कर सकेंगे ताकि आइपीआर को लेकर जागरूकता बढ़े।


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