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परंपरागत मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने की तैयारी, बिचौलिया मुक्त मंडी बनाएगी सरकार

सरकार ने परंपरागत मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने का कानूनी मसौदा तैयार किया

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 11:08 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 11:08 AM (IST)
परंपरागत मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने की तैयारी, बिचौलिया मुक्त मंडी बनाएगी सरकार
परंपरागत मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने की तैयारी, बिचौलिया मुक्त मंडी बनाएगी सरकार

नई दिल्ली (जेएनएन)। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने परंपरागत मंडियों के एकाधिकार को खत्म करने का कानूनी मसौदा तैयार किया है। इसके तहत निजी क्षेत्रों को भी मंडियां स्थापित करने की छूट दी जाएगी। इन सुधारों से थोक जिंस बाजार में उपज के लाभकारी मूल्य और ग्राहकों को उचित मूल्य पर वस्तुएं उपलब्ध कराने में सहूलियत होगी। कृषि सुधारों के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के कृषि मंत्रियों की सोमवार को हुई बैठक में इस मसले पर ज्यादातर राज्यों ने हामी भरी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि भाजपा शासित 15 राज्यों के साथ अन्य राज्यों ने भी कृषि सुधारों की दिशा में रुचि दिखाई है।

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केंद्र की ओर से तैयार मंडी सुधार के दायरे को व्यापक बनाने के लिए इसका नाम कृषि उत्पाद और पशुधन मार्केटिंग (प्रमोशन एंड फेसिलिटेटिंग) एक्ट (एपीएलएम)-2017 कर दिया गया है। किसान फिलहाल इन जिंस मंडियों में केवल अपनी जिंस बेच सकते हैं, जिसका संचालन मंडी कमेटी करती है। देश में कुल 6746 मंडियां हैं, जिनके बीच राष्ट्रीय स्तर पर 462 किलोमीटर की दूरी है। मंडियों की इस भारी कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्रों को भी मौका देने का मन बनाया है ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए उचित दूरी पर मंडियां मिल सकें।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस नये मॉडल कानून पर अमल हो जाने से किसानों की आमदनी को दोगुना करने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में मॉडल कानून पर ज्यादातर ने सहमति जताई है। सिंह यहां एक दिवसीय सम्मेलन में हुई चर्चा के बारे में पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे। सम्मेलन में कृषि मंत्री के साथ, नीति आयोग के सदस्य रमेशचंद, कृषि सचिव एस. पटनायक और 18 राज्यों के कृषि मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इनके अलावा मंत्रलय के आला अफसरों ने हिस्सा लिया। सालभर पहले कृषि मंत्री सिंह ने अपर सचिव डॉ. अशोक दलवई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने पिछली सभी रिपोर्ट और राज्यों की टिप्पणियों के आधार पर यह मॉडल कानून बनाया है। बैठक में हिस्सा लेने वाली उत्तर प्रदेश की कृषि मार्केटिंग मंत्री स्वाति सिंह ने कहा कि उन्हें मॉडल कानून बहुत पसंद आया है, जिसे अपने राज्य में लागू करने के लिए इसका गहन अध्ययन कराया जायेगा। हरियाणा के कृषि मंत्री ने निजी क्षेत्र के मंडी स्थापित करने के प्रस्ताव को स्वागत किया है।

नीति आयोग के सदस्य और कृषि सुधारों की दिशा में पहल करने वाले रमेशचंद ने कहा कि यह मॉडल कानून है, जिसे राज्य अपने हिसाब से लागू कर सकते हैं। उनकी सलाह के हिसाब से इसमें संशोधन किया जा सकता है। मॉडल कानून पर दलवई ने कहा कि इसका मूल मकसद एकल कृषि बाजार हो, जिसमें एकल लाइसेंस व एकसमान शुल्क हो, जहां किसान उपज और पशुधन की खरीद-फरोख्त कर सके।

मंडी शुल्क को नियमित करने के लिए फलों व सब्जियों पर एक फीसद और अन्य अनाज पर दो फीसद शुल्क की अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। इसी तरह कमीशन एजेंटों के शुल्क की सीमा भी जिंसों पर दो फीसद और फल-सब्जियों पर चार फीसद निर्धारित की गई है।


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