टेलीकॉम कंपनियों ने मारे सरकार के हिस्से के 7,700 करोड़ रुपये
टेलीकॉम कंपनियों ने अपने राजस्व को कम दिखाकर सरकार के हिस्से का 7,700 करोड़ रुपये का राजस्व मार दिया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेलुलर तथा तीन अन्य टेलीकॉम कंपनियों ने अपने राजस्व में 61,000 करोड़ रुपये की कमी दिखाकर सरकार के हिस्से का 7,700 करोड़ रुपये का राजस्व मार दिया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की नवीनतम रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है। कैग द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार इन छहों टेलीकॉम कंपनियों पर अदा नहीं किए गए राजस्व पर ब्याज के 4,531.62 करोड़ रुपये और बकाया हैं।
एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम), एयरसेल ने 2010-11 से लेकर वर्ष 2014-15 के चार सालों के दौरान राजस्व में यह कमी दिखाई। सिस्टेमा श्याम ने 2006-07 से ही कमी दिखानी शुरू कर दी थी। राजस्व में कमी दिखाने के लिए इन कंपनियों ने अपने खातों में डिस्ट्रीब्यूटरों को अदा कमीशन, फ्री टॉक टाइम जैसी प्रमोशनल स्कीमों तथा पोस्टपेड ग्राहकों व रोमिंग सेवाओं पर दिए गए डिस्काउंट वगैरह को समायोजित किया। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग से प्राप्त राजस्व तथा विदेशी मुद्रा लाभों, अर्जित ब्याज तथा निवेश बिक्री से प्राप्त आय को खातों में शामिल नहीं करके भी राजस्व में कमी दिखाई गई।
कैग ने हिसाब लगाया है कि एयरटेल पर लाइसेंस फीस तथा स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (एसयूसी) के रूप में सरकार का 2,602.24 करोड़ रुपये का मूल तथा 1,245.91 करोड़ रुपये ब्याज बकाया है। वोडाफोन पर 3331.79 करोड़ मूल व 1,178.84 करोड़ ब्याज, आइडिया पर 1,136.29 करोड़ मूल व 657.88 करोड़ ब्याज बकाया है। आरकॉम पर कुल 1911.17 करोड़ रुपये बाकी हैं। इसमें 839.09 करोड़ रुपये ब्याज शामिल है। एयरसेल पर 1,226.65 करोड़ रुपये बाकी हैं, जिसमें 116.71 करोड़ रुपये की रकम ब्याज की है। नई दूरसंचार नीति के मुताबिक टेलीकॉम लाइसेंसधारक कंपनी को अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का एक हिस्सा लाइसेंस फीस के रूप में सरकार को अदा करना पड़ता है। इसके अलावा मोबाइल ऑपरेटरों को उन्हें आवंटित रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के उपयोग के एवज में सरकार को एसयूसी भी अदा करना पड़ता है।