आज से पेट्रोल खरीदेंगे तो आपको देना होगा कैश, सोमवार से नहीं चलेंगे डेबिट-क्रेडिट कार्ड
एआईपीडीए की ताजा निर्णय के मुताबिक अब देशभर के पेट्रोल पंपों पर सोमवार से डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की डिजिटल पेमेंट मुहिम को ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (एआईपीडीए) ने बड़ा झटका दे दिया है। एआईपीडीए की ताजा निर्णय के मुताबिक अब देशभर के पेट्रोल पंपों पर सोमवार से डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस निर्णय का सीधा मतलब यह है कि 9 तारीख से आपको पेट्रोल-डीजल खरीदने के किए कैश में भुगतान करना होगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद कैशलेस मुहिम पर जोर देते हुए लोगों से अपील की थी कि वो कार्ड (डिजिटल मोड) से भुगतान करने की आदत डाल लें।
क्यों किया गया फैसला:
ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने बताया कि एक फीसदी एमडीआर कटने के चलते यह निर्णय लिया गया है कि 9 जनवरी से देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के 53,840 रिटेल आउटलेट्स पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आपको बता दें कि एमडीआर वह कमीशन होता है जिसे बैंकों की ओर से कार्ड पेमेंट स्वीकार करने लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के बदले वसूला जाता है।
दरअसल, कर्नाटक स्टेंट फेडरेशन ऑफ पेट्रोलियम डीलर्स की मेंगलुरु में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एआईपीडीए के अध्युक्ष अजय बंसल ने बताया कि एचडीएफसी बैक, आईसीआईसीआई, एक्सिस और अन्य बैंकों ने पेट्रोलियम डीलर्स को यह सूचना दी है कि उनसे 9 जनवरी से क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेनदेन पर 1 फीसदी और डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेन पर 0.25 फीसदी से 1 फीसदी के बीच शुल्क वसूला जाएगा।
आपको बता दें कि देशभर में करीब 56,190 पेट्रोल पंप हैं जिसमें प्राइवेट पेट्रोल पंप कंपनियां भी शामिल हैं। इनमें से करीब साठ फीसद पेट्रोल पंपों पर एचडीएफसी और आईसीआईसीआई की स्वाइप मशीनें हैं जबकि अन्य पर दूसरे बैंक की मशीनें मौजूद हैं।
पेट्रोल पंप डीलर्स का क्या है कहना:
वहीं इस सूचना पर पेट्रोल पंप डीलर्स का कहना है कि उनका कुल मार्जिन 2.5 फीसदी है, जिसमे स्टाफ कॉस्ट और अन्य मैंटेनेंस संबंधी गतिविधियों की लागत शामिल होती है। ऐसे में इतने कम मार्जिन में बैंक को शुल्क देना रिटेल आउटलेट्स के लिए संभव नहीं है। वहीं दूसरी स्थिति यह है कि अन्य कारोबारियों की तरह पेट्रोलियम डीलर्स अपने उत्पादों की कीमत को बढ़ा भी नहीं सकते हैं। इसलिए पेट्रोलियम डीलर्स अपने मार्जिन का एक फीसदी हिस्सा बैंकों को नहीं दे सकते।