Move to Jagran APP

जीडीपी के आंकड़ों को सही साबित करने में जुटा वित्त मंत्रालय

देश के विकास दर के आकड़ों को लेकर SBI, नोमुरा, BoFAML व वित्त मंत्रालय में तकरार

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 02 Mar 2017 10:39 AM (IST)Updated: Thu, 02 Mar 2017 10:51 AM (IST)
जीडीपी के आंकड़ों को सही साबित करने में जुटा वित्त मंत्रालय
जीडीपी के आंकड़ों को सही साबित करने में जुटा वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी से देश की आर्थिक विकास दर के बेअसर रहने और तीसरी तिमाही में सात फीसद की विकास दर को लेकर सरकार की तरफ से किया गया दावा भले ही कुछ अर्थविदों व एजेंसियों के गले नहीं उतर रही हो लेकिन वित्त मंत्रलय इसे सही साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। एक तरफ जहां एसबीआइ, नोमुरा, बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठा दिए हैं वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने इन आंकड़ों को सही ठहराते हुए नोटबंदी को एक सफल अभियान बताया है।

loksabha election banner

ब्रिटेन से दौरा पूरा करके स्वदेश लौटे जेटली ने कहा है कि बुधवार को जारी जीडीपी के आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी से देश की ग्रामीण क्षेत्रों के बुरी तरह से प्रभावित होने की जो बातें कही जा रही थी, वह गलत थी। नोटबंदी के बावजूद कर संग्रह के आंकड़ों को देखते हुए सरकार को इस बात का भरोसा था कि विकास की रफ्तार बनी हुई है। नोटबंदी की वजह से वैसे क्षेत्र जो अभी तक नकद आधारित थे या औपचारिक अर्थव्यवस्था से अलग थे, वे भी इसमें शामिल हो गये हैं। बैंकों में जो पैसे जमा किये गये, उन्हें अब व्यवस्था में डाल दिया गया है जिसका असर भी दिख रहा है। कुछ लोग जो यह बता रहे थे कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बहुत मार पड़ी है, वे गलत साबित हुए हैं।

उधर, जीडीपी को लेकर केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से जो आंकड़े दिए गये हैं, उस पर एक साथ कई एजेंसियों ने सवाल उठा दिए हैं। जापान की वित्तीय सलाहकार व आर्थिक एजेंसी नोमुरा ने तो इन आंकड़ों के काल्पनिक होने की बात भी कही है। इसने कहा है कि ये आंकड़े वस्तुस्थिति नहीं दिखाते क्योंकि ये सिर्फ संगठित क्षेत्र पर आधारित होते हैं। लेकिन यह डाटा किस तरह से आया, इसके कयास लगाते हुए नोमुरा की रिपोर्ट कहती है कि बाद में सात फीसद के विकास दर अनुमान को घटाया जा सकता है। सीएसओ पहले ही भी ऐसा कर चुका है।

एसबीआइ के प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष ने तो इसके पीछे सरकार की तरफ से पिछले वित्त वर्ष (2015-16) की तीसरी तिमाही के विकास दर को नीचे की तरफ से संशोधन करने को बड़ी वजह बताया है। अक्टूबर-दिसंबर, 2015 के विकास दर को नीचे करने से आधार काफी कम हो गया इसलिए अक्टूबर-दिसंबर, 2016 की विकास दर की रफ्तार बढ़ गई है। यह इसलिए भी सच प्रतीत होता है कि अप्रैल-जून, 2016 और जुलाई-सितंबर, 2016 के विकास दर के पहले दिए आंकड़ों को संशोधन कर बढ़ा दिया गया है। यानी एक तिमाही में भारी गिरावट लेकिन उसके बाद भारी सुधार। इसे विशेषज्ञ पचा नहीं पा रहे। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट के मुताबिक जीडीपी के पुराने आधार वर्ष के मुताबिक विकास दर 4.5-5 फीसद है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.