लॉजिस्टिक्स के लिए अलग से विभाग बनाने की तैयारी
वाणिज्य मंत्रालय में लॉजिस्टिक्स के लिए अलग से विभाग बनाने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। वाणिज्य मंत्रालय में लॉजिस्टिक्स के लिए अलग से विभाग बनाने की तैयारी है। मंत्रालय ऐसे ही एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस विभाग या यूनिट के जरिये निर्यातकों की ग्लोबल प्रतिस्पर्धा में टिके रहने की क्षमता को प्रभावित कर रहीं बढ़ती लागतों जैसे मुद्दों का समाधान करने का इरादा है। फिलहाल समुद्री, सड़क और रेलवे जैसे परिवहन के विविध तौर-तरीकों से जुड़े लॉजिस्टिक्स के सभी पहलुओं पर नजर रखने वाला कोई भी विभाग या मंत्रालय नहीं है।
संबंधित मंत्रालयों के बीच प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। निर्यातकों ने भी लॉजिस्टिक्स से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए अलग से एक विभाग बनाने की मांग की है। वे लॉजिस्टिक्स में खामियों जैसे मुद्दों पर ध्यान देने के लिए अध्ययन कर रहे हैं। एक व्यापार विशेषज्ञ के मुताबिक कोई भी ऐसा विभाग या निकाय जरूर होना चाहिए, जो लॉजिस्टिक्स से जुड़े सभी पहलुओं के बीच समन्वय कर सके। अभी इन सभी का प्रबंधन करने के लिए अलग-अलग विभाग हैं। इसकी वजह से तालमेल में दिक्कत आती है।
वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यातकों की लॉजिस्टिक्स संबंधी प्रतिस्पर्धा क्षमता बेहतर बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय को भी एक अहम सुझाव दिया है। इसके मुताबिक रेलवे को माल भाड़े की दरों को निर्यात, आयात और सामान्य श्रेणी के रूप में अलग-अलग करना चाहिए। देश में निर्यातकों की लॉजिस्टिक्स से जुड़ी लागतें बहुत अधिक हैं। इसकी वजह से ग्लोबल बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे पड़ते हैं। नतीजतन प्रतिद्वंद्वी देशों के उत्पाद बाजार में बाजी मार ले जाते हैं। रेलवे की ऊंची माल भाड़ा दरों के कारण निर्यात से जुड़ा ज्यादातर माल सड़क मार्ग से ढोया जाता है। इसके अलावा न तो माल समय से पहुंचने का भरोसा होता है और न ही लास्ट माइल कनेक्टिविटी सही होती है।