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जीडीपी की दो फीसद तक पहुंच सकती है फसल कर्जमाफी की लागत: अरविंद सुब्रमण्यम

अरविंद सुब्रमण्यम ने देश में राज्य सरकारों की ओर से की गईं किसान कर्जमाफी की घोषणाओं पर चिंता जताई है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 07:04 PM (IST)
जीडीपी की दो फीसद तक पहुंच सकती है फसल कर्जमाफी की लागत: अरविंद सुब्रमण्यम
जीडीपी की दो फीसद तक पहुंच सकती है फसल कर्जमाफी की लागत: अरविंद सुब्रमण्यम

नई दिल्ली(पीटीआई)। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने हाल ही में राज्य सरकारों की ओर से की गई किसान कर्जमाफी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर यह अभ्यास राष्ट्रीय स्तर पर शुरू होता है तो इससे सरकार का घाटा जीडीपी के दो फीसद तक पहुंच सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए 36,000 करोड़ रुपए के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की थी।

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सुब्रमण्यम ने बताया, “हाल ही में कई सरकारों ने कृषि ऋण माफी की घोषणाएं की हैं। अगर इसका विस्तार होता है तो इसकी लागत जीडीपी के दो फीसदी के बराबर हो सकती है जिससे सरकार का नुकसान बढ़ेगा। अगर ऐसी चीजें बढ़ती हैं जैसी की संभावना है तो मेरा मानना है कि यह एक बड़ी चुनौती है।” उन्होंने यह बात पिछले हफ्ते पीटरसन इंस्टीट्यूट में एक परिचर्चा सत्र के दौरान कही जिसे यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक ग्रीष्मकालीन बैठक से इतर आयोजित किया गया था।

फार्म लोन माफी से क्रेडिट अनुशासन होता है प्रभावित: अरुंधती भट्टाचार्य

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) की प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा कि कुछ लोन पर कर्जमाफी की योजनाएं लोन लेने वालों के क्रेडिट अनुशासन को प्रभावित कर सकती है। गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भाजपा ने वादा किया था अगर वो सत्ता में आते हैं तो वो राज्य में किसानों के लिए कर्ज माफी योजनाएं लाएंगे।
भट्टाचार्य ने बुधवार को भारतीय उद्योग परिसंघ की ओर से आयोजित एक समारोह के दौरान कहा, “हमें लगता है कि (खेत) ऋण माफी के मामले में हमेशा ऐसा होता है कि क्रेडिट अनुशासन में गिरावट आती है, क्योंकि जिन लोगों को छूट मिलती है, उन्हें भविष्य में भी छूट का इंतजार रहता है। ऐसे में दिए गए लोन अक्सर अनपेड रह जाते हैं। आज लोन वापस आ जाएगा क्योंकि सरकार इसके लिए भुगतान कर देगी, लेकिन जब हम फिर से लोन देंगे तो किसान एक बार फिर से माफी के लिए चुनाव का इंतजार करेंगे।”


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