बड़े अनुचित लाभ पर रहेगी मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण की नजर
जीएसटी के अंतर्गत मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण की नजर केवल बड़े मामलों पर ही रहेगी
नई दिल्ली (पीटीआई)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई व्यवस्था के तहत प्रस्तावित मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण की नजर केवल बड़े मामलों पर रहेगी। ऐसे मामले जो व्यापक स्तर पर लोगों को प्रभावित करते हों या जहां एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का अनुचित लाभ कमाया गया हो। नई व्यवस्था के तहत जल्द ही पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण का गठन किया जाना है। इसकी अध्यक्षता सचिव स्तर का अधिकारी करेगा। इस प्राधिकरण का काम उन व्यापारों की निगरानी करना होगा जिन्होंने जीएसटी में कम की गई दरों का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचाया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह देखने में दो से तीन महीने का समय लगेगा कि जीएसटी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है या नहीं। तब तक इस प्राधिकरण का गठन हो जाएगा। त्रिस्तरीय ढांचे के अनुसार, जीएसटी क्रियान्वयन समिति (जीआइसी) शिकायतें प्राप्त करेगी। जो शिकायतें राज्य विशेष या छोटी राशि की होंगी, उन्हें राज्य स्तरीय निगरानी समिति के पास भेज दिया जाएगा। अन्य मामलों को डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सेफगार्डस के पास भेज दिया जाएगा। वह तीन महीने के भीतर जांच को पूरा कर अपनी रिपोर्ट मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण को भेज देगा जो तीन महीने की अवधि में आदेश देगा।
अधिकारी ने बताया कि जिन मामलों का राष्ट्रीय या सामूहिक असर पड़ता हो, उन्हें प्राधिकरण देखेगा। ऐसे कई छोटे मामले हैं जो जीआइसी के पास आएंगे, लेकिन प्राधिकरण केवल उन्हीं मामलों को देखेगा जहां एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जुड़ी है। शेष को स्टेट स्क्रीनिंग कमेटी को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। एडीजी सेफगार्डस राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के सचिव के तौर पर काम करेंगे। उनके पास प्राधिकरण और डीजी सेफगार्डस ऑफिस के बीच समन्वय की जिम्मेदारी होगी।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने पिछले हफ्ते डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सेफगार्डस में समंजस दास को अपर महानिदेशक (एडीजी) सेफगार्ड के तौर पर नियुक्त किया था। अगर पता चलता है कि किसी कंपनी ने जीएसटी का लाभ आगे पास नहीं किया है तो मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण उसे उपभोक्ता तक लाभ पहुंचाने का निर्देश देगा। यदि लाभार्थी की पहचान नहीं हो पाती है तो कंपनी को यह राशि निर्धारित समय में ‘उपभोक्ता कल्याण कोष’ में ट्रांसफर करने के लिए कहा जाएगा।