सवाल-जवाब: बजट 2017 में होंगे कई बड़े बदलाव, इन मायनों में होगा अलग
1 फरवरी 2017 को पेश होने वाला आम बजट कई मायनों में खास होगा।
नई दिल्ली: 1 फरवरी 2017 को पेश होने वाला आम बजट अपने अंदर कई बदलाव लिए होगा। मसलन, रेल बजट का आम बजट में विलय, बजट पेश करने की तारीख में बदलाव आदि। इन बदलावों के साथ आने वाले बजट से जुड़े तमाम ऐसे सवाल होंगे जो आपके मन में होंगे। जैसे तारीख में बदलाव क्यों किया गया इसका क्या असर होगा आदि। इन सवालों के जबाव देने का प्रयास हमने अपनी इस खबर में किया है।
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1. बजट की तारीख में बदलाव क्यों किया गया?
बजट हमेशा फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर पेश किया जाता था। लेकिन इस बार सरकार इसे एक महीने पहले 1 फरवरी को पेश कर रही है। सरकार का उद्देश्य इस बदलाव के पीछे यह है कि सालाना खर्चे और टैक्स प्रस्ताव पर विधायी मंजूरी के लिए ज्यादा समय मिल सके। जिससे वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ही यह सभी मंजूरियां ली जा सके और बजट प्रक्रिया को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले 31 मार्च तक खत्म किया जा सके।
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2. रेल बजट और आम बजट के विलय के बाद क्या बदलाव होंगे?
सरकार आम बजट और रेल बजट अलग-अलग पेश करने की 92 साल पुरानी परंपरा इस साल खत्म कर देगी। 2017 से आम बजट और रेल बजट का विलय हो जाएगा और एक ही बजट पेश किया जाएगा। इस विलय के बाद जो बदलाव होंगे उनमें, रेल मंत्री का अलग से कोई भाषण नहीं होगा बल्कि आम बजट के भाषण में ही वित्त मंत्री रेलवे से जुड़ी घोषणाएं करेंगे। रेल बजट और आम बजट के विलय के बाद खातों के रखरखाव में किस तरह के बदलाव किए जाएंगे इस पर अभी सफाई आना बाकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस विलय के बाद रेलवे की ओर से सरकार को दिये जाने वाले लाभांश को खत्म किया जा सकता है।
3. बजट में होगा जीएसटी का जिक्र होगा?
सरकार ने देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू करने की नई डेडलाइन 1 जुलाई तय की है। इन कानून के लागू होने के बाद जीएसटी तमाम अप्रत्यक्ष करों की जगह ले लेगा। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि सरकार जीएसटी के लागू होने से ठीक पहले बजट में अप्रत्यक्ष करों में कितना बदलाव करेगी। दरअसल, जीएसटी में अंतर्गत लिए जाने वाले फैसले काउंसिल की बैठा में तय होते हैं जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। ऐसे के संबंध में कोई बड़ी घोषणा बजट के अंतर्गत नहीं होगी।
4. योजनागत और गैर-योजनागत खर्च के वर्गीकरण खत्म करने से क्या होगा?
सरकार ने बजटीय प्रक्रिया में कुछ और बदलाव भी किए हैं जिनकी झलक आगामी आम बजट में देखने को मिलेगी। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है सरकारी खर्च के योजनागत और गैर-योजनागत वर्गीकरण को खत्म करना। बीते 58 साल से चली आ रही यह परिपाटी अब इतिहास बन जाएगी। इसकी जगह बजट दस्तावेजों में सरकारी व्यय का वर्गीकरण राजस्व और पूंजीगत व्यय के रूप में ही किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पिछले वर्ष की गयी घोषणा के आधार पर आम बजट 2017-18 से योजनागत और गैर-योजनागत व्यय के अंतर को खत्म करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार के इस कदम से बजटीय प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और अब आसानी से ही यह पता चल सकेगा कि सरकारी धन का इस्तेमाल विकास कार्यो के लिए कितना हो रहा है।