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भारत के 95 फीसद इंजीनियर सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट जॉब के लिए फिट नहीं: स्टडी

देश के 95 फीसद इंजीनियर सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट जॉब के लायक नहीं हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 10:36 PM (IST)
भारत के 95 फीसद इंजीनियर सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट जॉब के लिए फिट नहीं: स्टडी

नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत के आईटी और डेटा साइंस इकोसिस्टम में टैलेंट की कमी है। हाल ही में हुआ एक सर्वे बताता है कि देश के 95 फीसद इंजीनियर सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट जॉब के लिए पूरी तरह से फिट नहीं है। रोजगार योग्यता आंकलन कंपनी एस्पाइरिंग माइंड्स की स्टडी के मुताबिक, सिर्फ 4.77 फीसद कैंडीडेट ही प्रोग्राम के लिए सही लॉजिक लिख सके। यह प्रोग्रामिंग जॉब करने के लिए न्यूनतम योग्यता है।

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500 से अधिक कालेजों में आईटी से जुड़ी शाखाओं के 36,000 से अधिक अभियांत्रिकी विद्यार्थियों ने आटोमाटा (सॉफ्टवेयर विकास कौशल का मशीन आधारित आकलन) में भाग लिया और इनमें से दो तिहाई तो सही कोड ही नहीं लिख पाए। अध्ययन में कहा गया है कि जहां 60 प्रतिशत से अधिक प्रत्याशी उचित कोड नहीं लिख पाये वहीं केवल 1.4 प्रतिशत ही सही व प्रभावी कोड लिख पाए।

एस्पाइरिंग माइंड्स के सीटीओ और को-फाउंडर वरुण अग्रवाल ने बताया, “प्रोग्रामिंग कौशल का अभाव भारत में आईटी और डेटा साइंस इकोसिस्टम को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है। साफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के मामले में दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है और भारत को इस पर गौर करना होगा।”

उन्होंने बताया कि रोजगार योग्यता में आई इस खामी को वास्तव में विभिन्न समस्याओं के लिए कंप्यूटर पर प्रोग्राम लिखने के बजाय केवल पढ़ाई आधारित प्रणाली के तौर पर देखा जा सकता है। इसके अलावा, टियर-1 कॉलेजों की तुलना में टियर-III कॉलेजों के लिए प्रोग्रामिंग कौशल करीब पांच गुना कमतर होता है, यानी खराब होता है।


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