AMAZING: इनके घर रोजाना Good Morning करने आते है पंछी
पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज में चीनी मिल कर्मी कुलदीप सिंह ढाका की पत्नी मृदुला ढाका पिछले बीस साल से पक्षियों के लिए दाना डालती हैं। रोजाना सैकड़ों पक्षी उनकी छत पर आते हैं।
पश्चिम चंपारण [सतीश पांडेय ]। जिले के नरकटियागंज के न्यू स्वदेशी शुगर मिल्स परिसर स्थित एक मकान रोजाना सुबह-सुबह पक्षियों के कलरव से गूंजता है। वहां मृदुला ढाका रहती हैं, चिडिय़ों की दोस्त। सुबह होते ही हजारों पक्षी उन्हें 'गुड मॉर्निंग' करने आते हैं। इसके बदले में इन चिड़ियों को दाना मिलता है। पानी भी। उनकी मॉर्निंग भी गुड हो जाती है।
चीनी मिल कर्मी कुलदीप सिंह ढाका की पत्नी मृदुला विगत 20 वर्षों से पङ्क्षरदों को दाना चुगा रही हैं। पंछी भी उनकी इस सदिच्छा से परिचित हैं। वे उनकी छत पर अलसुबह ही आ जाते हैं। मृदुला जैसे ही छत पर पहुंचती हैं, वे कलरव करने लगते है, जैसे स्वागत गीत गा रहे हों। इसके बाद वे दाना चुगाती हैं।
मृदुला बताती हैं कि ये बेजुबान भले ही इंसानों की भाषा नहीं बोल पाते हों, लेकिन प्यार-दुलार की भाषा अच्छी तरह समझते हैं। अपने हिसाब से इसे प्रदर्शित भी करते हैं। चीनी मिल समेत आसपास के लोग मृदुला के इस प्रयास की सराहना करते नहीं थकते हैं।
प्रतिमाह एक क्विंटल अनाज
पक्षियों को दाना चुगाने के लिए प्रति माह एक क्विंटल अनाज (चावल) मृदुला को खरीदना पड़ता है। इतना ही नहीं अनाज में कंकड़ या पत्थर के टुकड़े न रह जाएं इसके लिए वे पूरा जतन करती हैं। खुद कंकड़-पत्थर चुनती हैं। उनके इस कार्य में पति कुलदीप सिंह ढाका का बराबर सहयोग मिलता है।
तनख्वाह मिलते ही वे पहले पंछियो के लिए दाना ही मंगवाते हैं। पक्षियों के संरक्षण की दिशा में कार्यरत मृदुला के इस प्रयास की प्रशंसा चीनी मिल के अधिकारी भी करते नहीं थकते। उनका मानना है कि ऐसे प्रयास से ही इन बेजुबानों को असमय काल के गाल में समाने से बचाया जा सकता है।
न्यू स्वदेशी शुगर मिल्स नरकटियागंज के कार्यपालक अध्यक्ष चंद्रमोहन का कहना है कि पूरे नरकटियागंज के लिए और खासकर चीनी मिल कर्मियों के लिए यह गर्व की बात है कि मृदुला पंछियों को बचाने के लिए अनूठा प्रयास कर रही हैं। इससे प्रेरणा लेने की जरूरत है। प्रकृति के अभिन्न अंग इन पंछियों को संभालकर रखना हम सबकी जिम्मेवारी है।