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यहां नहीं होती किसी मिलावट की जांच

बगहा । उत्तर प्रदेश और नेपाल के सीमा से सटे बगहा अनुमंडल क्षेत्र अभी भी काफी पिछड़ा इलाका है। यहां अभ

By Edited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 02:20 AM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 02:20 AM (IST)
यहां नहीं होती किसी मिलावट की जांच

बगहा । उत्तर प्रदेश और नेपाल के सीमा से सटे बगहा अनुमंडल क्षेत्र अभी भी काफी पिछड़ा इलाका है। यहां अभी भी शिक्षा का स्तर काफी कम है। यहां मिलावट की बात करें तो इसका व्यापक क्षेत्र है। विभाग भी यहां उदासीन है। ऐसे में मिलावट करने वाले चांदी काट रहें है तो लोग बीमारी की चपेट में फंस कर अपना स्वास्थ्य खराब कर रहें है। इसकी शिकयत भी बगहा में नहीें होती है।

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नेपाल से डालडा और मसाला की आपूर्ति

नेपाल से कम मूल्य और मानक के पैमाने पर खरा नहीं उतरने वाला डालडा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इस का प्रयोग मिठाई बनाने के लिये होटल संचालक किया करते है। ऐसे मे होटल में निर्मित सामग्री बीमारी को निमंत्रण देती है। वहीं यहीं से मशाला भी आता है। गर्म मसाला के नाम पर कइ्र प्रकार की जंगली लकड़ी की मिलावट की जाती है। यह सेहत के लिये हानिकारक बताया जाता है।

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दाल, सत्तू, बेसन, आटा, मिर्चा, सब्जी, फल में मिलावट ही मिलावट

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यहां ग्राहक उचित मूल्य देकर भी शुद्ध भोजन में उपयोग होने वाली वस्तुओं के लिये तरसता है। अरहर की दाल सहित सभी दालों में अन्य मिलते जूलते दाल की मिलावट सहित बेसन में मिलावट आम बात है। सब्जी को बात करें तो रंग लगाकर परवल, करैला, मिर्ची आदि की बिक्री की जाती है। फल वाले भी केमिकल मिला कर फल को ताजा दिखा कर बेचते है। ऐसा नित्य ही कारोबारी करके मालामाल हो रहें है।

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कहते है चिकित्सक

अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक डा. एसपी अग्रवाल बताते है कि मिलावट से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सब्जी और फल में रंग और केमिकल मिलाने से कैंसर व हार्ट होने का खतरा बन जाता है। दाल, मसाला, तेल आदि में मिलावट से लीवर, किडनी, सहित पेट सबंधित रोग होता है।

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कहते है अधिवक्ता

------------------- अधिवक्ता विनोद श्रीवास्तव बताते है कि इस से जुड़े मामले की सुनवाई फूड अडरटरेशन सेवन इसी के तहत होने का प्रावधान है। इसकी सुनवाई बेतिया कोर्ट में होती है। उपभोक्ता फोर्म भी बेतिया में ही है। कम से कम इसमें दोषी पर तीन साल की सजा हुआ करती है।


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